सभी राजनीतिक दलों के राजनीति में अपराधीकरण मुक्त करने के लिए बातें बहुत बड़ी-बड़ी की जाती है लेकिन उसको ‘अमल’ में लाया नहीं जाता है. जब-जब अपराधीकरण को लेकर चर्चा होती है तब दलों के नेताओं के द्वारा ‘भाषणबाजी’ इतनी जोरदार तरीके से की जाती है, जैसे कि वह अपनी-अपनी पार्टियों को ‘अपराधी मुक्त’ कर देंगे. लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है.
इसका बड़ा कारण यह भी है कि आज अधिकांश राजनीतिक दल ‘बाहुबलियों’ को शरण भी दिए हुए हैं. यह बाहुबली चुनाव के दौरान नेताओं के काम आते हैं. यही नहीं पॉलिटिकल पार्टियां देश की शीर्ष अदालत के आदेश की भी परवाह नहीं करती हैं. लेकिन अब पार्टियों की ‘दोहरी नीति’ नहीं चल पाएगी. ‘बता दें कि हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट राजनीति से अपराधीकरण को खत्म करने के लिए कई बार फैसला सुना चुका है’ लेकिन अभी तक किसी भी दलों के द्वारा इस पर पहल नहीं की गई’.
अब राजनीति में अपराधी एक साथ नहीं चल सकते हैं. आज सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को लेकर काफी ‘सख्त टिप्पणी’ की है. इसके साथ अदालत ने फैसला सुनाते हुए चेतावनी के साथ ‘जुर्माना’ भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीति के अपराधीकरण से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया गया. ‘राजनीति में अपराधीकरण खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कई अहम टिप्पणी भी की.
‘कोर्ट ने कहा कि अदालत ने कई बार कानून बनाने वालों को आग्रह किया कि वे नींद से जगें और राजनीति में अपराधीकरण रोकने के लिए कदम उठाएं. लेकिन, वे लंबी नींद में सोए हुए हैं.शीर्ष न्यायालय ने कहा कि कोर्ट की तमाम अपीलें बहरे कानों तक नहीं पहुंच पाई हैं. राजनीतिक पार्टियां अपनी नींद से जगने को तैयार नहीं हैं.
कोर्ट के हाथ बंधे हैं. यह विधायिका का काम है. हम सिर्फ अपील कर सकते हैं. उम्मीद है कि ये लोग नींद से जगेंगे और राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए बड़ी सर्जरी करेंगे’. शीर्ष अदालत ने भाजपा और कांग्रेस समेत 10 राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है.
अपने-अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करने के लिए देश की शीर्ष अदालत ने यह कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बिहार चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक करने के अदालत के निर्देशों का पालन न करने के लिए भाजपा, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बसपा, जदयू, राजद, आरएसएलपी, लोजपा पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. इसके अलावा सीपीएम और रांकपा पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया है.
48 घंटे के भीतर राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों की जानकारी साझा करनी होगी
राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाने के साथ अदालत ने आदेश दिया है कि उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर सभी राजनीतिक दलों को उनसे जुड़ी जानकारी साझा करनी होगी. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अगर किसी उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज है या फिर किसी मामले में वह आरोपी है, तो राजनीतिक दलों को उम्मीदवार के नाम के एलान के 48 घंटे के भीतर इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी.
बता दें कि अपने-अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करने के लिए देश की शीर्ष अदालत ने यह कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाए. यह सोशल मीडिया, वेबसाइटों, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पंपलेट आदि सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर किया जाएगा.
कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग सेल बनाए जो यह निगरानी करे कि राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है या नहीं. यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो चुनाव आयोग इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देगा
सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद अब उम्मीद की जा सकती है राजनीति में अपराधीकरण की कुछ कमी आ सकेगी. लेकिन इसकी उम्मीद इस बार भी बहुत कम ही है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार