ताजा हलचल

स्वर्णिम शपथ: सुप्रीम कोर्ट का अपनी व्यवस्था के साथ ‘न्याय’, कई फैसले पहली बार और ऐतिहासिक रहे

0

आज बात करेंगे राजधानी दिल्ली में स्थित शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) की.

सुप्रीम कोर्ट से देश के बड़े और जटिल फैसले सुनाए जाते हैं। ‌जब कोई निचली अदालत या हाईकोर्ट के फैसलों से संतुष्ट नहीं होता तो वह सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाता है.

यहां से उसे ‘न्याय’ मिलने की आखिरी उम्मीद बनी रहती है ! लेकिन आज शीर्ष अदालत ने अपनी ही न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ‘ऐतिहासिक’ फैसले लिए.

अगस्त महीने का आखिरी दिन जुडिशरी (न्याय तंत्र) के लिए ‘इतिहास के पन्नों में भी दर्ज हो गया’ देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट पिछले कई वर्षों से अपने यहां खाली पड़े जजों की नियुक्ति की मांग करती रही है.

आखिरकार 31 अगस्त को सर्वोच्च अदालत ने पहली बार ऐसा ‘स्वर्णिम पल’ देखा जो कभी नहीं देखा गया.

‘आज तीन महिला जजों के साथ 9 जजों को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ दिलाई, पहली बार जजों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का दूरदर्शन पर ‘सीधा प्रसारण’ भी किया गया’. अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्‍या 33 हो गई है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट से 12 अगस्त को जस्टिस आरएफ नरीमन के रिटायर के बाद जजों की संख्या घटकर 25 हो गई थी.

मंगलवार को शपथ लेने वाले इन 9 जजों में से आठ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या जज हैं. उनके अलावा एक वरिष्ठ वकील भी सीधे सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए हैं.

अब सर्वोच्च अदालत में पेंडिंग केसों का जल्द निपटारा होगा

आज नौ जजों के शपथ लेने के बाद ‘सर्वोच्च अदालत में पेंडिंग केसों का भी जल्द निपटारा होगा’. जजों के खाली पद होने पर कई मामलों के निस्तारण में देरी होती थी.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पद की शपथ लेने वाले नौ नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.

वहीं न्यायमूर्ति विक्रम नाथ गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी जो सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं, न्यायमूर्ति हीमा कोहली तेलंगाना हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश थीं.

इनके अलावा शपथ लेने वाले जजों में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थी), न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (जो गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश थीं) और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं जो एक वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे.

जज के रूप में शपथ लेने वाली जस्टिस बीवी नागरत्ना देशभर में रहीं सुर्खियों में
यहां हम आपको बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में शपथ लेने वाली कर्नाटक की रहने वाली ‘जस्टिस बीवी नागरत्ना पूरे देश में सुर्खियों में रहीं’.

जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी. ‘वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में वह भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी’.

हालांकि नागरत्ना का चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यकाल केवल 36 दिनों का ही रहेगा. आइए जान लेते हैं नागरत्ना के बारे में. सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक हाईकोर्ट में जज थीं। जस्टिस नागरत्ना ने 1987 में कर्नाटक हाईकोर्ट में वकालत शुरू की.

उन्होंने पूरे 23 साल तक वकालत की और उसके बाद बतौर जज भूमिका संभाली. उन्हें 2008 में हाईकोर्ट में अडिशनल जज नियुक्त किया गया. उसके बाद फरवरी 2010 में जस्टिस नागरत्ना को हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किया गया था.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version