शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की देनदारी में राहत मांग रही टेलीकॉम कंपनियों की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट के इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.
कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनी पिछले साल सितंबर में दिए आदेश का पालन करे. बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों ने एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू बकाए की फिर से गणना की याचिका दाखिल की थी.
गौरतलब है कि सोमवार को एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल, वोडा, आइडिया और टाटा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. ये याचिका गणना के गलत तरीके से होने का हवाला देते हुए दाखिल की गई थी.
पिछले साल सितंबर में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दे दी थी. कोर्ट ने पिछले साल इन कंपनियों को बकाया एजीआर चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था. कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को बकाया राशि का 10 फीसदी एडवांस में चुकाना होगा. फिर हर साल समय पर किस्त चुकानी होगी.
इसके लिए कोर्ट ने 7 फरवरी समय तय किया था. कंपनियों को हर साल इसी तारीख पर बकाया रकम की किस्त चुकानी होगी. ऐसा न करने पर ब्याज देना होगा. इसके बाद कंपनियों ने एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू की गणना में कमी बताते हुए दोबारा आकलन की मांग की थी.
पिछली बार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनियां एजीआर की रकम नहीं चुकाना चाहती इसलिए खुद को दिवालिया घोषित कर रही हैं. आंकड़ों के मुताबिक एजीआर के तहत 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया है. जिसमें सबसे ज्यादा वोडाफोन आइडिया को 50,399 करोड़ और भारती एयरटेल को 25,976 करोड़ रुपए जमा करना है. जानकारों कि मानें तो इस मामले में सरकार टेलीकॉम कंपनियों को ढील देने के मूड में है.
एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यू (एजीआर) दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला लाइसेंसिंग और यूजेज फीस है. इसके अलावा इसमें स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (3 से 5 फीसदी के बीच) और लाइसेंसिंग फीस भी शामिल है, जोकि कुल लाभ का 8 फीसदी हिस्सा होता है, भी एजीआर का हिस्सा माना जाता है.