सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट ने राहत नहीं दी है. कोर्ट ने सुपरटेक की संशोधन अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि वह 31 अगस्त को दिए अपने आदेश में कोई बदलाव नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट में दायर आवेदन में सुपरटेक ने कहा था कि फैसले में अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों के मद्देनजर उन्होंने प्रोजेक्ट में बदलाव करने का निर्णय लिया था.
सुपरटेक ने 40 मंजिला ट्विन टावर-16(अपेक्स) और 17(स्यान) को ढहाने के आदेश को लेकर अर्जी दाखिल की थी. याचिका में ट्विन टावर के ढहाने के आदेश पर रोक लगाने और एक टावर को ढहाने की मंजूरी मांगी थी. कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा था कि इससे ना केवल करोडों रुपये बचेंगे बल्कि नियमों के मुताबिक निर्माण भी होगा.
सुपरटेक ने आवेदन के जरिए सुपरटेक ने प्रोजेक्ट में संभावित बदलाव की रूपरेखा पेश की थी. सुपरटेक ने कहा है कि एक टावर के 224 फ्लैट गिराए जाएंगे तो वो फायर सेफ्टी आदि नियमों का पालन करेंगे.
कंपनी ने 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में संशोधन की अपील की थी जिसमें जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जज जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में इन दो टावरों को गिराने के निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है और हाईकोर्ट का यह विचार सही था. पीठ ने कहा था कि दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड को उठाना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के समय से लेकर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए. साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए.