सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं पर खर्च की गई रकम को माफ करने वाले सरकार के अधिनियम को असांविधानिक करार दिया गया था.
उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी व अन्य की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें पद छोड़ने के बाद भी सरकारी आवासों में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों को समूची अवधि का किराया बाजार दर के हिसाब से देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.
गत वर्ष तीन मई को हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया था.
जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के नौ जून के फैसले को चुनौती देने वाली उत्तराखंड सरकार की याचिका को खारिज कर दिया.
हालांकि पीठ ने गत वर्ष तीन मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है
दरअसल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य सरकार की ओर से आवास, गाड़ी समेत कई तरह सुविधाएं मिलती थी.
लेकिन गत वर्ष तीन मई को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सभी सुविधाओं का किराया बाजार भाव से देना होगा.
हाईकोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से छह महीने में पूरा पैसा जमा करने का आदेश दिया था.
परंतु इस फैसले के कुछ ही महीनों के बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं जारी रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सुविधा अधिनियम बना डाला था.
इस अधिनियम को एक संस्था ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
जिस पर हाईकोर्ट ने उस अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. हाईकोर्ट के इन दोनों ही आदेश को चुनौती दी गई थी.