सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट के दो 40 मंजिला टावरों को दो हफ्तों में गिराने का निर्देश दिया है, नोएडा में बने ये दोनों टॉवर खासी सुर्खियों में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सीईओ को 72 घंटे के भीतर सभी संबंधित एजेंसियों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया है, ताकि दोनों टावरों को गिराने के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा सके.
वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड को सख्त निर्देश दिया था कि वह अपनी एमेराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत दोनों टावरों में घर खरीदने वाले ग्राहकों को 28 फरवरी तक तय राशि लौटा दे.
गौर हो कि इसे गिराए जाने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी दिया था हालांकि बिल्डर और कुछ बॉयर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्विन टॉवर बनाते समय नियमों की अनदेखी की गई इसके साथ ही बायर्स को 12 फीसद ब्याज के साथ रकम वापस लौटाने के लिए भी कहा.
वहीं 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के अपने आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सुपरटेक को फटकार लगाई थी सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को चेतावनी दी थी कि अगर रुपये नहीं लौटाए तो जेल भेज देंगे.
मूल तौर पर इस ट्विन टॉवर में भूतल समेत 9 फ्लोर के 14 टॉवर बनने थे लेकिन समय के साथ साथ टॉवर की ऊंचाई बढ़ती गई. प्रावधान यह था कि बिल्डर को संशोधन के लिए RWA से इजाजत लेनी थी लेकिन बिल्डर ने उसकी परवाह नहीं की. इसके साथ नेशनल बिल्डिंग कोड में दो आवासीय टॉवर के बीच 16 मीटर की दूरी आवश्यक है लेकिन ट्विन टॉवर में नियमों की अनदेखी की गई.
करीब 17 साल पहले 2004 में सेक्टर 93 ए में करीब 48 हजार वर्ग मीटर का प्लाट एमेरैल्ड कोर्ट के नाम आवंटित था. ओरिजनल प्लान में 14 टॉवर का नक्शा पास किया गया.
नक्शे में सभी टॉवर भूतल समेत 9 फ्लोर के थे. 2006 में सप्लीमेंट्री लीज डीड के तहक 6556 वर्ग मीटर और जमीन दी गई और अब कुल क्षेत्रफल 54 हजार वर्ग मीटर के करीब हो गया.अतिरिक्त जमीन पर कब्जे का सर्टिफिकेट 2006 में ही जारी किया और 2006 के बाद आवंटियों को एफएआर में इजाफा करने का मौका मिला.