नए कृषि कानूनों के साथ-साथ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ‘अगर सरकार ने रोक नहीं लगाई तो अदालत कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा देगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर रुख के लिए केंद्र सरकार पर कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि ‘हम आपके रवैये से खुश नहीं हैं. अगर आप कानूनों पर रोक नहीं लगाते हैं तो हम इसे रोक देंगे.’
सुप्रीम कोर्ट ने और भी काफी कुछ कहा- पढ़िए 10 बड़ी बातें
1. किसी को प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकते. इतने दिनों से कृषि कानूनों पर सरकार किसानों से क्या बात कर रही है.
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कृषि कानूनों को समझने और समीक्षा के लिए हम एक कमेटी बना रहे हैं. तब तक कानूनों को रोक भी सकते हैं.
3. चीफ जस्टिस ने कहा कि किसानों के आंदोलन में कुछ भी हो सकता है. वहां हालात जैसे हैं, उससे कुछ भी हो सकता है.
4. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हम नहीं चाहते कि आंदोलन में कोई घायल हो. उन्होंने कहा कि कानून की समीक्षा के लिए कमेटी बनाएंगे. कमेटी की रिपोर्ट आने तक कानूनों पर रोक लगा सकते हैं.
5. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप आंदोलन का समाधान निकालिए.
6. अदालत ने कहा कि हमारे समक्ष कोई भी ऐसी अर्जी दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं.
7. कोर्ट ने कहा कि हम चाहते थे कि बातचीत से मामले का हल निकले, लेकिन कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगाने को लेकर केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
8. सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा, ‘आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे.’
9. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई राज्यों ने इन कृषि कानूनों को लागू किया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के लिए कहा कि हमें पता नहीं कि आप समाधान का हिस्सा हैं, या समस्या का.
10. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के वकील से पूछा- इतनी ठंड में आंदोलन में महिलाएं और बच्चे क्यों. 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में एंट्री कौन लेगा, कौन नहीं, ये देखना हमारा काम नहीं. ये पुलिस का काम है.