राजद्रोह कानून को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि जो लोग इस कानून की धारा 124 A के तहत जेल में बंद हैं वे जमानत के लिए कोर्ट में जाएं.
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार पुलिस को देशद्रोह के प्रावधान के तहत संज्ञेय अपराध दर्ज करने से नहीं रोक सकती लेकिन एक सक्षम अधिकारी (SP रैंक ) की संस्तुति के बाद ही 124A के मामले दर्ज किए जाएं.
ऐसा किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि लंबित राजद्रोह के मामलों की समीक्षा की जा सकती है. 124 A के तहत दर्ज मामलो में को जल्द से जल्द जमानत देने पर विचार किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर तीन अहम बातें कही. पहला फिलहाल कोई मुकदमा इस मामले में दर्ज नहीं होगा. दूसरा पेंडिग मामलों में जो मुकदमे इस धारा के तहत दर्ज है उन्हे ठंडे बस्ते में रखा जाएगा. ये सारे आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कोर्ट कोई अगला आदेश न दे या फिर सरकार इस पर कोई फैसला न ले ले.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला देते हुए राजद्रोह कानून के तहत कोई नया केस दर्ज करने पर रोक लगा दी. चीफ जस्टिस एनवी रमणा की बेंच ने केंद्र सरकार को देशद्रोह कानून धारा 124A पर पुनर्विचार करने की इजाज़त देते हुए कहा कि इस प्रावधान का उपयोग तब तक करना उचित नहीं होगा.
जब तक कि इस पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. उन्होंने उम्मीद जताई कि 124ए पर फिर से विचार की प्रक्रिया पूरी होने तक न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार इसके तहत केस दर्ज करेगी. कोर्ट ने ये भी कहा कि जो लोग 124A के तहत जेल में बंद हैं, वो जमानत के लिए कोर्ट में जाएं.