आज बात उस न्याय तंत्र की होगी जिसकी भूमिका और हर आदेश विशेष तौर पर चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दल मानने के लिए बाध्य होते हैं. सही मायने में इस संस्था का लोकसभा हो या विधानसभा चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष कराने में सबसे बड़ा योगदान माना जाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं केंद्रीय निर्वाचन आयोग की. मौजूदा समय में बंगाल चुनाव को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ‘आर-पार की जंग’ और तेज होती जा रही है.
अब इन दोनों राजनीतिक दलों की सियासी लड़ाई में निर्वाचन आयोग भी ‘झुलस’ रहा है. बंगाल चुनाव को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की शिकायतों का केंद्रीय निर्वाचन मुख्यालय में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है. कल तक मुख्य निर्वाचन आयोग रहे सुनील अरोड़ा दबाव में अपने फैसले भी स्वतंत्र होकर सुना नहीं पा रहे थे. लेकिन जाते-जाते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बंगाल में 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगा गए.
बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और तो तृणमूल कांग्रेस की शिकायतें हर दिन बढ़ती जा रही थी. ऐसे में सुनील अरोड़ा भी पीएम मोदी और ममता बनर्जी के बीच में फंस कर रह गए थे. अब मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से रिटायरमेंट होने के बाद सुनील अरोड़ा ने राहत की सांस ली होगी.
‘अरोड़ा ऐसे समय में रिटायर हुए हैं जब भाजपा और टीएमसी का सियासी झगड़ा चरम पर है, अरोड़ा जरूर सोच रहे होंगे कि अब नए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा यह जिम्मेदारी संभालें, मैं अब राजनीतिक दलों के पचड़ों से दूर हो गया हूं’.
अब न मेरे ऊपर कोई दबाव है न कोई फैसला सुनाने की जिम्मेदारी न अधिकार. संभव है पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा राजनीतिक दलों के नेताओं के दबाव का ‘दर्द’ शायद कुछ समय बाद जरूर बाहर निकले, जिसमें तमाम चौंकाने वाले फैसले सुनने को मिल सकते हैं, (फिलहाल यह भविष्य की बातें हैं ) बात को आगे बढ़ाने से पहले यहां हम आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था मानी जाती है लेकिन हमेशा इस पर आरोप लगते रहे हैं कि यह केंद्र सरकार के दबाव में ही काम करती है.
लेकिन इस सब के बीच वर्ष 1990 के दशक में टीएन शेषन का कार्यकाल हमेशा याद किया जाएगा. इनके कार्यकाल में स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन किया गया जिसके साथ तत्कालीन केंद्र सरकार एवं ढीठ नेताओं के साथ कई विवाद हुए.
शेषन दिसंबर 1990 से लेकर दिसंबर 1996 तक देश के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त थे. अब बात आगे बढ़ाते हैं और जानते हैं नए मुख्य चुनाव आयुक्त की चुनौतियों को लेकर. निर्वाचन आयोग में कार्यभार संभालने से पूर्व सुशील चंद्रा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं. सुशील चंद्रा ने सोमवार को रिटायर हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा की जगह ली है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार