उत्‍तराखंड

यूओयू से विशेष बीएड करने वाले 350 से अधिक विद्यार्थी परेशान, जानें पूरा मामला

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सांकेतिक फोटो

भारतीय पुनर्वास परिषद से बगैर मान्यता वाले उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) के अध्ययन केंद्रों से बीएड विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर डिग्री हासिल करने की 350 से अधिक विद्यार्थी सजा भुगत रहे हैं.

इन छात्रों को मुक्त विश्वविद्यालय से विशेष बीएड की डिग्री मिले ढाई साल हो चुके  हैं मगर इनका पंजीकरण भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) दिल्ली में नहीं हो रहा है. इनमें उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के छात्र शामिल हैं.

डिग्री होने के बावजूद ये अभ्यर्थी किसी भी सरकारी भर्ती में आवेदन करने से वंचित हैं. वजह यह है कि परिषद में पंजीकरण नंबर के बिना इनकी ये डिग्री किसी काम की नहीं है.

यूओयू ने वर्ष 2015 में विशेष बीएड पाठ्यक्रम प्रारंभ किया था. इसमें कुल 500 सीटें थीं. प्रवेश परीक्षा के माध्यम से इनमें उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों के छात्र-छात्राओं ने यूओयू के विभिन्न अध्ययन केंद्रों में प्रवेश लिया था. यह बैच 2015- 17 का था जो 25 अगस्त 2018 को पासआउट हुआ. प्रथम बैच के सैकड़ों विद्यार्थियों को यूओयू की ओर डिग्री भी प्रदान कर दी गई थी.

जब इनमें से अधिकांश विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त करने के बाद आरसीआई में पंजीकरण के लिए आवेदन किया तो परिषद ने बगैर मान्यता प्राप्त वाले अध्ययन केंद्रों के विद्यार्थियों का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया. परिषद में यूओयू के केवल दो मॉडल अध्ययन केंद्र हल्द्वानी और देहरादून के पंजीकृत 86 डिग्रीधारकों का ही पंजीकरण हो सका. 

पहले यूओयू के अध्ययन केंद्रों के लिए कोई मानक तय नहीं थे तथा बड़ी संख्या में प्रदेश भर में अध्ययन केंद्र खोल दिए गए थे. बाद में वर्ष 2017 में यूजीसी के अध्ययन केंद्रों के लिए मानक तय कर दिए गए. इस कारण किसी भी विवि से संबद्धता न होने के आधार पर ये अध्ययन केंद्र अमान्य घोषित हो गए थे.   

क्या है विशेष बीएड पाठ्यक्रम
विशेष बीएड पाठ्यक्रम दिव्यांग बच्चों को विशेष शिक्षा देने के मकसद से शुरू किया गया है. दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए विशेष अध्यापक पद के लिए इस डिग्री को प्राप्त करने वाले ही योग्य माने जाते हैं. इसमें महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि विशेष बीएड की शिक्षा प्राप्त करने के बाद डिग्रीधारक को आरसीआई में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. वहां से डिग्रीधारकों को लाइसेंस नंबर दिया जाता है, उसी के आधार पर वे कहीं भी विशेष अध्यापक पद (टीजीटी) की भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं.

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