लखनऊ| ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्मौय लाना कल्बे जवाद ने शुक्रवार (17 दिसंबर) को कहा कि बोर्ड लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का मुद्दा उठाएगा.
यूपी के मौलवी ने कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी उनके ‘गलत’ होने की संभावना को रोकती है. उन्होंने कहा कि अगर विवाह योग्य उम्र 21 साल तक बढ़ा दी जाती है, तो इससे माता-पिता का तनाव बढ़ जाएगा क्योंकि उन्हें उन पर नजर रखनी होगी और उन्हें तीन और साल तक बचाना होगा.
अपनी ही चाची का उदाहरण देते हुए जिनकी शादी 14 साल की कम उम्र में कर दी गई थी. मौलाना जवाद ने आगे कहा कि कम उम्र में छोटी लड़कियों के स्वास्थ्य और बच्चे पैदा करने की क्षमता शादी में कोई बाधा नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी चाची पूरी तरह से स्वस्थ थीं और 45 साल की उम्र तक उनके 14 बच्चे थे.
AIMPLB सदस्य ने जोर देकर कहा कि माता-पिता बेहतर जानते हैं और अपनी बेटियों को सरकार या सरकार के किसी भी प्रतिनिधि से ज्यादा प्यार करते हैं, इसलिए आदर्श रूप से लड़कियों की शादी की उम्र पर कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे को AIMPLB अध्यक्ष पास उठाएंगे और बोर्ड सरकार से बात करेगा ताकि वे कानून में संशोधन के साथ आगे बढ़ने से पहले हमारे सुझावों पर विचार करे.
इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शफीकुर रहमान ने कहा है कि भारत एक गरीब देश है और हर कोई कम उम्र में अपनी बेटी की शादी करना चाहता है. उन्होंने कहा कि मैं संसद में इस विधेयक का समर्थन नहीं करूंगा.
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पुरुषों और महिलाओं की विवाह योग्य उम्र में एकरूपता लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.