पटना| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का चुनाव 28 अक्टूबर यानी बूधवार को होना है. इसक चरण के लिए भोपुओं का शोर थम चुका है, लेकिन बयानों के जरिए एक दूसरे पर हमला किया जा रहा है.
16 जिलों की जिन 71 सीटों पर चुनाव होने हैं वो एनडीए और महागठबंधन के लिए अहम इसलिए है क्योंकि पिछले चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन अच्छा और उस वक्त आरजेडी और नीतीश कुमार साथ मिलकर चुनाव लड़े थे.
नीतीश कुमार पर इस समय महागठबंधन के नेता जमकर निशाना साध रहे हैं और उसी कड़ी में सोनिया गांधी ने भी कटाक्ष किया है.
सत्ता में उच्च और इसके अहंकार, वर्तमान बिहार सरकार अपने रास्ते से भटक गई है. न तो उनका कहना और न ही करना अच्छा है. मजदूर असहाय हैं, किसान चिंतित हैं और युवा निराश हैं. जनता कांग्रेस महागठबंधन के साथ है और यह बिहार का आह्वान है.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने क्या किया वो दिखाई दे रहा है बिहार में पिछले 15 वर्षों में कागजों पर काम दिखाई देता रहा है. लेकिन हकीकत में जब उन काम को तलाशेंगे तो कुछ भी नजर नहीं आएगा.
बिहार चुनाव में कांग्रेस बार बार यह सवाल पूछ रही है कि नीतीश कुमार जिन दावों का जिक्र करते हैं आखिर वो कहां दिखाई दे रहा है. सूबे में ब्लॉक स्तर से लेकर शासन तक भ्रष्टाचार चरम पर है.
नीतीश सरकार इस करप्शन के खिलाफ लड़ाई के दावे कर रही है. लेकिन सच तो यह है कि शराबबंदी को कोई अर्थ नहीं है. पहले शराब लोगों को चोरी छिपे मिला करता था हालांकि अब शराब घरों की दहलीज को लांघ चुका है.
सरकार प्रवासी मजदूरों के हित की बात कर रही है, लेकिन अगर कोई बाहरी शख्स राज्य का दौरा करे तो वो आसानी से समझ जाएगा कि इस सरकार ने सिर्फ छलने का काम किया है.