शनिवार (24जुलाई) को भारत की 26 वर्षीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में देश के लिए पहला सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है.
टोक्यो इंटरनेशनल फोरम में महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए मीराबाई चानू ने कुल 202 किलो (स्नैच में 87 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 115 किग्रा) वजन प्रतियोगिता में अपने चार सफल प्रयासों के दौरान उठाया.
वहीं, चीन की होउ जिहुई ने 210 किलोग्राम उठाकर गोल्ड मेडल जीता और नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया. वहीं, इंडोनेशिया की विंडी केंटिका आयशा ने कुल 194 किलोग्राम के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता.
मीराबाई चानू के सिल्वर मेडल जीतने के दो ही दिन बाद खबर आ रही है कि इस भारतीय खिलाड़ी का सिल्वर मेडल गोल्ड में बदल सकता है. अगर ऐसा होता है तो भारतीय खिलाड़ी के लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगी. लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?
न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, चीन की वेटलिफ्टर होउ जिहुई का डोपिंग रोधी अधिकारियों द्वारा परीक्षण किया जाएगा और यदि वह परीक्षण में विफल रहती हैं तो भारत की मीराबाई चानू को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा. एक सूत्र के मुताबिक, होउ जिहुई को टोक्यो में ही रुकने के लिए कहा गया और टेस्ट होगा. परीक्षण निश्चित रूप से हो रहे हैं.
हालांकि, सच्चाई यह है कि ओलंपिक में लगभग 5,000 एथलीटों का कई बार परीक्षण किया जा रहा है और प्रतियोगिता के अंदर और बाहर दोनों के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं. ऐसे उनमें से प्रत्येक के सकारात्मक परीक्षण की संभावना बहुत कम है. फिर भी अगर होई का परीक्षण सकारात्मक आता है तो मीरबाई चानू भारत की पहली महिला ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता होंगी.