उत्तराखंड सरकार भारतीय सेना की रक्षा तैयारियों और राज्य को सैन्य उपकरणों का हब बनाने के लिए तैयारी में है. उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल) को देहरादून में डिफेंस पार्क बनाने के लिए जगह तलाशने का जिम्मा सौंपा गया है. सिडकुल की यह तलाश जल्द पूरी होने की संभावना है.
सीमांत राज्य उत्तराखंड सैन्य गतिविधियों व सैन्य अवस्थापना के विकास का केंद्र बनने जा रहा है. सीमांत जिले चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में वायुसेना एयर डिफेंस राडार व एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए जमीन तलाश रही है.
शनिवार को मुख्यमंत्री और एयर मार्शल के बीच इसे लेकर वार्ता भी हो चुकी है.
उनसे पहले बीआरओ के आला अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से सीमांत सड़कों के अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए मुलाकात की थी.
जाहिर तौर पर सीमा पर चीन की हरकतों के बाद से सेना के लिए उत्तराखंड सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.
दूसरा मोर्चा सैन्य उपकरणों के उत्पादन से जुड़ा है, जिसमें उत्तराखंड सरकार काफी गंभीरता से रुचि ले रही है. डिफेंस उद्यम पॉलिसी बनाई जा चुकी है और अब उद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
राज्य के कुछ उद्यमी जुटे हैं, जिन्होंने एक एसोसिएशन बना ली है. यह एसोसिएशन प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के मार्गदर्शन से उत्तराखंड में सैन्य उपकरणों के कारोबार में नई संभावनाएं तलाशेगी.
डीआरडीओ के साथ एसोसिएशन के सदस्यों ने पिछले दिनों देहरादून में एक अहम बैठक की थी. जिसके बाद से उद्यमी उत्साहित हैं. वे अब आगे की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.
एसोसिएशन से जुड़े कारोबारी अनिल गोयल कहते हैं, केंद्र सरकार ने 100 से अधिक रक्षा उपकरणों को दूसरे मुल्कों से खरीदने के बजाय देश में ही बनाने का फैसला किया है.
उत्तराखंड इसका लाभ उठा सकता है. रक्षा उपकरणों की ऐसी दो सूचियां और आनी हैं. इस कारोबार में काफी संभावनाएं हैं और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
डीआरडीओ इन उपकरणों की आरएंडडी उपलब्ध कराएगा और उस हिसाब से इनका उत्पादन होगा.
सीएम रावत ने कहा देहरादून को डिफेंस हब बनाने के लिए सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है. लेकिन कोरोना के कारण कुछ विलंब हुआ है. नीति बना दी गई है. कुछ उद्यमी आगे आए हैं. सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता है.
साभार-अमर उजाला