उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर चाचा भतीजे सुर्खियों में है. चाचा ने ठान लिया है कि वह अब अपनी अलग राजनीतिक पारी खेलेंगे. जैसा अभी कुछ दिनों पहले तक चर्चा थी कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजे एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे लेकिन अब दोनों के बीच एक बार फिर दूरियां बढ़ गई हैं.
आज हम बात कर रहे हैं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की. शिवपाल ने आज मेरठ में वैसे तो किसानों के समर्थन में एक रैली आयोजित की लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने आज से विधानसभा चुनाव तैयारी भी शुरू कर दी है.
‘पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव को उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को सपा के साथ मिलाने की बात कही थी इसके बदले में अखिलेश ने 2022 में अपनी सरकार आने पर चाचा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का आश्वासन दिया था, भतीजे के इस पेशकश को शिवपाल ने ठुकराकर अपना अलग गठबंधन बनाने और चुनावी बिगुल फूंकने का एलान कर दिया है’.
ऐसे में साफ है कि चाचा-भतीजे के बीच सियासी खाईं अभी पटी नहीं है। शिवपाल अब अखिलेश के दिए प्रस्ताव के साथ सपा से हाथ नहीं मिलाएंगे बल्कि अपनी अलग सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. यहां आपको बता दें कि 23 दिसंबर को इटावा में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर एक कार्यक्रम करेंगे और 24 दिसंबर से यूपी के गांव-गांव की पदयात्रा पर निकलेंगे.
बता दें कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. इस सियासी जंग में शिवपाल यादव और अखिलेश एक दूसरे के आमने-सामने आ गए थे. हालांकि मुलायम सिंह यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दोनों नेताओं के बीच सुलह की कई कोशिशें कीं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार