लखनऊ| शिवसेना की उत्तर प्रदेश इकाई ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चौहान की मौत मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. कोविड-19 से संक्रमित चौहान की गत दिनों मौत हो गई. पहले उनका इलाज लखनऊ के सरकारी अस्पताल में किया जा रहा था लेकिन बाद में उन्हें गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया.
शिवसेना की मांग है कि मंत्री को किन परिस्थितियों में लखनऊ से गुरुग्राम ले जाया गया इसकी जांच होनी चाहिए.
अपनी मांग को लेकर राज्यपाल से मिली है शिवसेना
चौहान की मौत मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर शिवशेना का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिला और उन्हें इस बारे में एक ज्ञापन सौंपा. बता दें कि कोविड-19 से संक्रमित चौहान का गत 16 अगस्त को निधन हो गया.
कोरोना से संक्रमित मिलने पर उन्हें पहले लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में भर्ती किया गया. बताया गया कि उपचार के दौरान उन्हें किडनी संबंधित परेशानी आई. इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया. यहां पर उन्हें 36 घंटे तक लाइफ सपोर्ट पर रखा गया.
शिवसेना की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘स्वर्गीय मंत्री चेतन चौहान को किन परिस्थितियों में एसजीपीजीआई से लखनऊ से ले जाया गया? क्या सरकार को अपने संस्थान में भरोसा में नहीं है? मंत्री एसजीपीजीआई के स्टॉफ एवं डॉक्टरों के व्यवहार से आहत थे.
अब तक एसजीपीजीआई के दोषी डॉक्टरों एवं स्टॉफकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सरकार सोती रही और दो मंत्रियों की कोविड-19 की वजह से मौत हो गई.’
पहले भी कोरोना से मंत्री की जान जा चुकी है
गौरतलब है कि इसके पहले गत 2 अगस्त को यूपी की शिक्षा मंत्री कमला रानी वरुण (62) की कोविड-19 से मौत हो गई. शिवसेना ने कहा, ‘सरकार को इस मामले की सीबीआई जांच अवश्य करानी चाहिए.’ इसके पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता सुनील सिंह साजन ने आरोप लगाया कि चौहान की मौत कोविड-19 की वजह से नहीं बल्कि एसजीपीजीआई में इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हुई.
विधानसभा में शुक्रवार को साजन ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल में चौहान का इलाज ठीक से नहीं किया गया. सपा नेता का दावा है कि वह और मंत्री चौहान अस्पताल के एक ही वार्ड में भर्ती थे.