दिल्ली में आज का दिन कई मायनों में याद रखा जाएगा, आज किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया और उसे निकालना शुरू किया मगर कुछ देर बाद समूची तस्वीर ही बदल गई और शांतिपूर्ण मार्च की जगह हिंसा का नाच सड़कों पर दिखने लगा जिससे माहौल खासा गर्माता चला गया.
इस सबसे इतर दिल्ली के लाल किले पर किसानों का हूजूम पहुंच गया और वो काम कर दिया जिसकी उम्मीद ही नहीं थी. ट्रैक्टर परेड के लिए निर्धारित मार्ग से हटकर प्रदर्शनकारी किसानों का एक समूह मंगलवार को लालकिले में घुस गया और राष्ट्रीय राजधानी स्थित इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर झंडे लगा दिए.
दिल्ली में निकाले जा रहे ट्रैक्टर मार्च के दौरान आज किसानों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई , प्रदर्शनकारी लाल किले में घुस गए और वहां अपना झंडा लहरा दिया.
इस मामले को लेकर कई प्रतिक्रियायें सामने आई हैं, तमाम राजनीतिक दलों ने हिंसा की निंदा की है, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, ‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण. मैंने शुरू से ही किसानों के विरोध का समर्थन किया है लेकिन मैं अराजकता की निंदा नहीं कर सकता…
वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने ने संजय राउत ने ट्वीट किया, “अगर सरकार चाहती तो आजकी हिंसा रोक सकती थी. दिल्ली में जो चल रहा है उसका समर्थन कोई नही कर सकता…
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्त जयवीर शेरगिल ने कहा-लाल किले में केवल एक झंडे के लिए जगह है और वह है हमारा तिरंगा..
इससे पहले इससे पहले प्रदर्शनकारी किसान आईटीओ पहुंचेऔर लुटियंस इलाके की तरफ बढ़ने की कोशिश की. इसपर पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर परेड के निर्धारित समय से काफी पहले ही दिल्ली के विभिन्न सीमा बिन्दुओं से दिल्ली के भीतर बढ़ना शुरू कर दिया और अनुमति न मिलने के बावजूद वे मध्य दिल्ली स्थित आईटीओ पहुंच गए.
दिल्ली पुलिस ने किसानों को इस शर्त के साथ ट्रैक्टर परेड की अनुमति दी थी कि वे राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के समाप्त होने के बाद तय किए गए मार्गों पर ही अपनी परेड करेंगे. हालांकि, आज किसान मध्य दिल्ली की ओर बढ़ने पर अड़ गए जिससे अफरातफरी मच गई.
लाल किले पर झंडा मामले को लेकर भड़के नेता, शशि थरूर से लेकर संजय राउत ने जताया विरोध
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