संसद के दोनों सदनों में भाजपा के हंगामा किए जाने के बाद शरद पवार ने भी सोमवार को एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अनिल देशमुख का बचाव किया. पवार ने कहा कि देशमुख के इस्तीफे का सवाल ही नहीं बनता है, उन पर जो आरोप लगे हैं उनमें कोई दम नहीं है. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि जिस तारीख के बीच के आरोप लगाए गए हैं, उस वक्त 5 से 15 फरवरी तक महाराष्ट्र के गृहमंत्री अस्पताल में भर्ती थे, उसके बाद वो लंबे वक्त तक क्वारनटीन में रहे.
पवार के इस बयान के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने ट्विटर पर अनिल देशमुख के पुराने ट्वीट को रिट्वीट कर दिया. मालवीय के ट्वीट के मुताबिक अनिल देशमुख 15 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. भाजपा ने अनिल देशमुख के मामले में पवार पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है . आइए आपको बताते हैं अनिल देशमुख कौन हैं. महाराष्ट्र में नागपुर के आसपास क्षेत्र को विदर्भ कहा जाता है.
देशमुख इसी क्षेत्र से आते हैं . नागपुर में पले बढ़े अनिल देशमुख ने 1970 के दशक में ही राजनीति में कदम रखा था . वे पहली बार 1992 में जिला परिषद के चुनाव जीतकर अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी . उसके बाद अपनी बढ़ती लोकप्रियता के दम पर उन्होंने साल 1995 में कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा लेकिन जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीते भी.
अनिल देशमुख महाराष्ट्र की पूर्व सरकारों में कई बार मंत्री भी रह चुके हैं . वर्ष 1999 में जब शरद पवार कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना रहे थे तब कई नेताओं के साथ अनिल देशमुख भी पवार के साथ जुड़ गए थे. नागपुर की ‘कटोल’ विधानसभा क्षेत्र से वह चुनाव जीतते रहे हैं . विदर्भ क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विस्तार के मकसद से ही शरद पवार ने गृहमंत्री का पद दिलवाया था.
देशमुख पवार के करीबी माने जाते हैं, उनसे बिना पूछे कोई भी निर्णय नही लेते हैं. इसी के चलते महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय पर शरद पवार का वर्चस्व बना हुआ है . रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटक वाले स्कॉर्पियो पाए जाने से जुड़े मामले में सस्पेंड एएसआई सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाकर होमगार्ड विभाग में भेज दिया गया था.
परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी में सचिन वाजे और अनिल देशमुख पर सौ करोड़ रुपये की वसूली के आरोप लगाए हैं. इसके बाद गृहमत्री देशमुख बुरी तरह फंस चुके हैं. लेकिन शरद पवार उन्हें बचाने की पूरी कोशिश करने में लगे हुए हैं. बता दें कि वर्ष 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में टकराव हो गया था जिसके बाद शिवसेना भाजपा से अलग हो गई थी .
उसके बाद शरद पवार ने कांग्रेस और अपनी पार्टी एनसीपी के साथ शिवसेना का गठबंधन करके महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. वहीं पूरे मामले में अभी तक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ‘मौन’ धारण किए हुए हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार