यूपी में दो चरणों के मतदान हो चुके है. तीसरे चरण का मतदान 20 फरवरी को 16 जिलों में फैली 59 विधानसभाओं में होना है. ये वो इलाके हैं जिन पर मुलायम सिंह यादव का असर माना जाता है,सामान्य तौर पर एटा, इटावा, मैनपुरी, औरैया को लोग यादवलैंड के नाम से पुकारते हैं. सामान्य तौर पर राजनीतिक दल साफ सुथरी राजनीति की हिमायत करते हैं.
लेकिन क्या जमीन पर यह नजर आता है. इस सवाल का जवाब नहीं में आता है. इस तरह के जवाब के पीछे वजह भी है. तीसरे चरण में जिन 59 सीटों पर मतदान होना है उनमें 17 फीसद उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं.
एडीआर की रिपोर्ट में जानकारी
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले 623 उम्मीदवारों में से कम से कम 103 या 17% पर बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर आपराधिक मामले हैं. एडीआर ने पाया कि 135 (22%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
तीसरे चरण में 20 फरवरी को 16 जिलों की 59 सीटों पर मतदान होने वाले 59 निर्वाचन क्षेत्रों में से 26 को अति संवेदनशील माना गया है. यह वो विधानसभाएं हैं जहां तीन या अधिक उम्मीदवार आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. एडीआर के मुताबिक दो उम्मीदवारों पर बलात्कार और इतने ही हत्या के आरोप हैं.
कोई भी दल पाक साफ नहीं
प्रमुख दलों में, 58 समाजवादी पार्टी (SP) के 21 (36%), भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 55 उम्मीदवारों में से 20 (36%), 59 बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 18 (31%), 10 (18) 56 कांग्रेस के %) और 49 आम आदमी पार्टी (AAP) के 11 (22%) गंभीर आपराधिक मामलों का सामना करते हैं. तीस (52%) सपा, 25 (46%) भाजपा, 23 (39%) बसपा, 20 (36%) कांग्रेस और 11 (22%) आप उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.
फरवरी 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण बताने का निर्देश दिया और उनके बिना अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है.