अयोध्या में भक्तों की आस्था के प्रतीक भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की कार्ययोजना बनाई जा रही है, मंदिर निर्माण किस तकनीक से किया जाएगा इसे लेकर मंथन चल रहा है और विशेषज्ञों की राय ली जा रही है.
वहीं अब राम मंदिर निर्माण में अब नई दिक्कत सामने आई है बताया जा रहा है कि राम मंदिर की नींव के नीचे सरयू नदी की धार मिली है, जिसकी वजह से निर्माण कार्य में दिक्कतें आने की संभावना है, श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र इस बारे में भारतीय प्रौधोगिकी संस्थान से राय ले रहा है.
एक सूत्र ने कहा कि विचार-विमर्श के दौरान, यह महसूस किया गया कि मंदिर की नींव के लिए मौजूदा मॉडल संभव नहीं था, क्योंकि सरयू नदी की एक धारा मंदिर के नीचे बह रही है. ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ ट्रस्ट के सूत्रों ने कहा कि आईआईटी से मंदिर की मजबूत नींव के लिए बेहतर मॉडल का सुझाव देने का अनुरोध किया गया है.
विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि राम मंदिर की आधारशिला इतनी मजबूत बने कि वह 1000 साल तक मजबूती के साथ खड़ी रहे.’ इससे पहले रिपोर्टें में कहा गया कि मंदिर निर्माण स्थल के नीचे मिली रेत की वजह से निर्माण कार्य में विलंब हो रहा है.
गौरतलब है कि राम मंदिर का निर्माण कार्य 2023 में पूरा होना है मंदिर ट्रस्ट की निर्माण समिति दो विकल्पों पर विचार-विमर्श कर रही है- पहला राफ्ट को सपोर्ट करने के लिए वाइब्रो स्टोन कॉलम का उपयोग करना, जिस पर पत्थर रखे जा सकते हैं, और दूसरा इसमें इंजीनियरिंग मिश्रण को मिलाकर मिट्टी की गुणवत्ता और पकड़ में सुधार करना.
वहीं दिसंबर की शुरूआत में राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में उन रिपोर्टों को खारिज किया था जिनमें कहा गया है कि मंदिर निर्माण स्थल के नीचे मिली रेत निर्माण कार्य को प्रभावित कर सकती है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ निर्माण कार्य से जुड़ी चीजों को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘विशेषज्ञों को मंदिर निर्माण कार्य स्थल के नीचे रेत मिली है. यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है. अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है, ऐसे में वहां बालू का मिलना नई बात नहीं है. आप ताज महल का उदाहरण लें. इसके नीचे भी रेत है लेकिन इससे ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.