नेता जी बीमार क्या हुए पार्टी भी खराब हाल में पहुंच गई. जमीन से जुड़ी इस पार्टी में एक दौर ऐसा भी था जब कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर अपनी सियासी जमीन मजदूर करते थे. कार्यकर्ताओं के आंदोलनों को नेता जी ने खूब आगे बढ़ाया. लेकिन अब पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में जोश ही गायब हो गया है.
‘किसी भी राजनीतिक दल के लिए सबसे खराब समय तब कहा जा सकता है जब उसको चुनाव लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार ही न मिले’. हम बात करेंगे आज उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की.
‘नेताजी का आशय है मुलायम सिंह यादव से’. मुलायम सिंह ने सपा का उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों में जनाधार पहुंचाया, लेकिन कुछ वर्षों से मुलायम सिंह यादव बीमार क्या हुए तब से ही समाजवादी पार्टी बिखरती चली गई.
मौजूदा समय में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं. ‘अखिलेश काफी समय से ट्विटर पर ही राजनीति जमाने में लगे हुए हैं’.
‘अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में होने जा रहे उपचुनाव के लिए कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिल पा रहा है. मजबूरी में एमपी के उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी को उम्मीदवारों के लिए एक विज्ञापन जारी करना पड़ा हैै ‘.
सपा के विज्ञापन में प्रत्याशियों से आवेदन मंगवाए गए हैं. जहां एक ओर भाजपा, कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की पूरी सूची जारी कर दी है वहीं अभी तक अखिलेश इस उधेड़बुन में है कि कौन से प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया जाए. बता दें कि मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कोई विशेष जनाधार नहीं है पिछले बार वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में एक सीट पर ही पार्टी ने कब्जा किया था.
गौरतलब है कि एमपी में 28 विधानसभा सीटों के लिए 3 नवंबर को उपचुनाव हो रहे हैं. वहीं 10 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे.
सपा के निकाले गए प्रत्याशियों के लिए विज्ञापन में सूचना इस प्रकार है, उपचुनाव के लिए जो भी समाजवादी पार्टी नेता, कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी समाजवादी पार्टी टिकट के लिए इच्छुक हैं कृपया वह आवेदन करें.
विज्ञापन में साफ लिखा है कि कोई भी सपा नेता, कार्यकर्ता और पदाधिकारी टिकट चाहता है तो वो ट्वीट में दिए गए नंबर पर अपना आवेदन भेज सकता है.
अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए नहीं जुटा पा रहे हिम्मत
मध्य प्रदेश के उपचुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है लेकिन दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ने के लिए हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं. एमपी के उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के भविष्य भी तय करने वाले हैं.
वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. लेकिन अखिलेश यादव को चुनाव लड़ने के लिए किसी प्रत्याशी पर भरोसा ही नहीं रहा.
यानी साफ है कि सपा ने अभी तक मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए उम्मीदवार तय नहीं किए हैं जबकि समाजवादी पार्टी पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का एक बड़ा और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल है.
यही नहीं सपा यूपी में विपक्ष और दूसरे नंबर की पार्टी है. थक हार कर अखिलेश यादव को अपने उम्मीदवारों के लिए विज्ञापन का सहारा लेना पड़ा. सवाल उठता है कि जब भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और बसपा ने जहां उम्मीदवार घोषित कर दिए तो फिर समाजवादी पार्टी उपचुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार क्यों नहीं जुटा पाई ?
सपा के निकाले गए विज्ञापनों पर कई यूजर्स ने किया मजाक
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सपा के निकाले गए विज्ञापनों पर कई कमेंट भी देखने को मिले. सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का मजाक भी उड़ाया.
किसी ने कहा आम नागरिक भी लड़ सकता है या निर्दलीय ही लड़ना पड़ेगा, तो किसी ने लिख दिया अब विज्ञापन देने के दिन आ गए क्या, कुछ ने तो ट्वीटर पर ही अपनी उम्मीदवारी पेश कर दी तो किसी ने तो लिखा इतने बुरे दिन आ गए कि समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार उतारे थे और बिजावर विधानसभा सीट से सपा उम्मीदवार राजेश शुक्ला चुनाव जीत कर विधायक बने थे, लेकिन इसी साल हुए राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के बाद मध्य प्रदेश में अपने एकमात्र विधायक को अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी से निकाल दिया था.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार