पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. हालांकि भाजपा बंगाल में अपनी सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी. देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में संघ ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
पिछले कुछ महीनों से यूपी में भाजपा के प्रति माहौल ‘बिगड़ा’ है. बता दें कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश में उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव के नतीजों से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं. अगले साल की शुरुआत में ही यूपी विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते ‘सपा और कांग्रेस ने संक्रमण में प्रशासनिक अफसरों और अस्पतालों में खराब सिस्टम का आरोप लगाते हुए योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है’.
ऐसे में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप इससे संभावित नुकसान को लेकर ‘अलर्ट’ है. बता दें कि ‘पंचायत चुनाव में आशा के अनुरूप नतीजे न मिलने से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से दिल्ली आलाकमान खुश नहीं है, पिछले दिनों दिल्ली में हुई यूपी की सियासी हलचल को लेकर हुई बैठक में स्वतंत्र देव सिंह को आमंत्रित भी नहीं किया गया था, इसी के बाद यूपी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की अटकलें तेज हो गई थी’.
मौजूदा समय में योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं. इस तरह से यूपी सरकार में फिलहाल कुल 54 मंत्री हैं, जिसके लिहाज से 6 मंत्री पद अभी भी खाली हैं.
चुनावी साल होने के चलते माना जा रहा है कि योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सामाजिक समीकरण साधने का दांव चल सकती हैं और संगठन में व्यापक सुधार कर नए तेवर के साथ अगले साल होने वाले चुनाव में किस्मत आजमाने की रणनीति अपना सकती है. ‘सही मायने में संघ के नए सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबोले भी यूपी में भाजपा को मिशन 22 फतेह दिलाने के लिए एक्टिव मोड में आ गए हैं’.