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इस बार हाई टेक होगी अमरनाथ यात्रा, आरएफआईडी करेगा आतंकियों से रक्षा

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कोविड-19 की वजह से करीब दो साल बाद शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा इस बार पूरी तरह से बदली नजर आएगी. यात्रियों की सुविधा और आतंकियों के खतरे को देखते हुए, यात्रा को पूरी तरह से हाईटेक बनाने की तैयारी है. इसके तहत हर यात्रियों की ट्रैकिंग के साथ ऐसे कई तरीके अपनाए जाएंगे, जिससे यात्रा का अनुभव हर बार से बेहतर हो और आतंकियों के खतरे को भी कम किया जा सके.

साल 1990 के बाद से अमरनाथ यात्रा पर अब तक 36 आतंकी हमले हो चुके हैं. उसमें 53 तीर्थ यात्रियों की मौत हुई है और 167 यात्री घायल हुए . इसी खतरे को देखते हुए इस बार केंद्र सरकार ने सभी यात्रियों की RFID ट्रैकिंग का फैसला किया है. इस बार 30 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है.

RFID ट्रैकिंग क्या है
बीते मंगलवार को अमरनाथ यात्रा पर गृह मंत्री के साथ जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह तय किया गया है कि पहली बार सभी अमरनाथ यात्रियों को एक RFID कार्ड दिया जाएगा. इसका इस्तेमाल यात्रियों की ट्रैकिंग में किया जाएगा. जिससे कि यात्रा के दौरान हर यात्री की मूवमेंट को ट्रैक किया जा सके. अभी तक अमरनाथ यात्रा के दौरान केवल वाहनों पर RFID का इस्तेमाल किया जाता था.

RFID यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीकी का इस्तेमाल ट्रैकिंग के लिए होता है. जो एक चिप की तरह होती है. यह लगातार रेडियो तरंगों को उत्पन्न करती रहती है. जिसके जरिए ट्रैकिंग सिस्टम से व्यक्ति या वस्तु की मूवमेंट को ट्रैक किया जाता है. अमरनाथ यात्रा में इसका फायदा यह होगा कि हर पल वाहनों और यात्रियों पर नजर रहेगी. जिससे किसी आतंकी हमले से उनकी सुरक्षा की जा सके.

वाई-फाई के साथ-साथ लाइव दर्शन का इंतजाम
इस बार की यात्रा में यात्रियों की सुविधा के लिए जगह-जगह वाई-फाई हॉट स्पॉट बनाने की तैयारी है. जिससे कि यात्रियों को इंटरनेट सुविधा अबाध रूप से मिलती रहे. इसके अलावा बाबा बर्फानी के ऑनलाइन लाइव दर्शन, पवित्र अमरनाथ गुफा में सुबह और शाम की आरती का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा. जिससे रास्ते में यात्रियों के अलावा देश और दुनिया के दूसरे हिस्से में बैठे लोग भी लाइव दर्शन कर सकें.

आतंकी खतरे का रहता है साया
जम्मू और कश्मीर में 80-90 के दशक में आतंकवाद शुरू होने के बाद, अमरनाथ यात्रा पर हमेशा से आतंकियों का खतरा रहता है. साल 1993 में पहली बार यात्रा के दौरान आतंकी हमला किया गया था. साल 2017 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंस राज अहीर ने लोकसभा में बताया था कि 1990 से 2017 के बीच अमरनाथ यात्रा पर कुल 36 आतंकी हमले हो चुके हैं. जिसमें 53 तीर्थ यात्री मारे गए , जबकि 167 यात्री घायल हुए.

इस दौरान सबसे बड़ा हमला साल 2000 में हुआ था. जिसमें आतंकियों ने 2 अगस्त 2000 को यात्रियों के पहलगाम बेस कैंप पर हमला किया था. आतंकियों का अंधाधुंध फायरिंग में 32 तीर्थ यात्रियों, दुकानदारों और पोर्टरों की मौत हो गई थी. जबकि 60 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा 2019 में आतंकी खतरे को देखते हुए अमरनाथ यात्रा को छोटा कर दिया गया था. ऐसे ही खतरों को देखते हुए एंटी ड्रोन सिस्टम और स्नाइपर के इस्तेमाल की भी तैयारी है.

इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू होकर 40 दिन से ज्यादा चलेगी. इसके लिए 11 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुके हैं. अमरनाथ यात्रा का आवेदन करने के लिए 13 साल से 75 साल के बीच उम्र होनी चाहिए. इसके अलावा अगर कोई महिला 6 हफ्ते से ज्यादा की गर्भवती है तो वह इस यात्रा में हिस्सा नहीं ले सकेगी. फिलहाल एक दिन में केवल 20 हजार रजिस्ट्रेशन किए जाएंगे.


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