देश में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के आर-वैल्यू (Reproductive number) में गिरावट आई है और पूरे देश में यह औसतन 1 अंक से नीचे बना हुआ है.
हालांकि मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु जैसे प्रमुख महानगर भी हैं, जहां आर-वैल्यू एक अंक से अधिक है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पुणे में यह 1 अंक से कम बना हुआ है.
रिप्रोडक्टिव नंबर या आर-वैल्यू (R-value) कोरोना वायरसर संक्रमण के फैलने की रफ्तार को बताता है, जिसमें पता चलता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है.
अप्रैल-मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘आर-वैल्यू’ 1.37 था, जब देश ने इस महामारी के कारण व्यापक तबाही देखी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस महीने (सितंबर) के मध्य में कमी आई है. हालांकि केरल, महराष्ट्र के कई इलाकों में यह अधिक 1 अंक से दर्ज की गई है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सितंबर के मध्य में कोविड-19 का ‘आर-वैल्यू’ घटकर 0.92 रह गया है, जो अगस्त के अंत में 1.17 था. ‘आर-वैल्यू’ वह मानक है, जिससे पता चलता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है. अप्रैल-मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘आर-वैल्यू’ 1.37 था, जब देश ने इस महामारी के कारण व्यापक तबाही देखी.
पूरे देश में ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और केरल में भी औसत आर-वैल्यू 1 से कम है, जिसे दोनों राज्यों में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि दोनों राज्यों के कई इलाकों में आर-वैल्यू 1 से अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई में आर-वैल्यू जहां 1.09 है, वहीं चेन्नई में यह 1.11, कोलकाता में 1.04 और बेंगलुरु में 1.06 है.
क्या है कोविड का R-value?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगस्त के आखिर में आर-वैल्यू 1.17 था, जो 4-7 सितंबर के बीच घटकर 1.11 हुआ. उसके बादसे यह 1 अंक से नीचे बना हुआ है. रिप्रोडक्टिव नंबर या आर-वैल्यू यह दर्शाता है कि एक संक्रमित व्यक्ति औसतन कितने लोगों को संक्रमित करता है. दूसरे शब्दों में, यह बताता है कि वायरस कितनी तेजी से फैल रहा है.