गुरुवार (25 फरवरी) को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों का असर लागत पर होता है. इसका असर सिर्फ यात्रियों पर ही नहीं होता जो कार और बाइक चलाते हैं, इसका असर कई क्षेत्रों पर होता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि ईंधन के दाम में लागत बढ़ाने वाले कारक हैं, इस मामले में केन्द्र और राज्यों को मिलकर ईंधन के दाम में टैक्स को कम करने के समन्वित कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के कई पहलू पर बात की. शक्तिकांत दास बांबे चैंबर ऑफ कामर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
हालांकि शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों पर ही राजस्व का दबाव बना हुआ है. उन्हें देश और लोगों को कोविड- 19 महामारी से पैदा हुए दबाव से बाहर निकालने के लिए अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है.
गवर्नर ने कहा कि ऐसे में राजस्व की जरुरत और सरकारों की मजबूरी पूरी तरह से समझ में आती है. लेकिन इसके साथ ही यह भी समझने की जरुरत है कि इसका महंगाई दर पर भी प्रभाव पड़ता है. पेट्रोल और डीजल के ऊंचे दाम का मैन्युफैक्चरिंग लागत पर प्रभाव पड़ता है.
दास ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र वृद्धि की गति में सुधार लाने का काम कर रहा है. देश का एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था की वृद्धि का इंजन बनकर आगे आया है. कंपनियों को स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में अधिक निवेश करने की जरूरत है. भारत सफलता की राह पर आगे बढ़ने की दहलीज पर खड़ा है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमारी कुछ चिंताएं हैं.
दास ने कहा कि हम एमएफआई क्षेत्र के लिए अपने नियामकीय ढांचे को सुधारने पर काम कर रहे हैं. संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के लिए नई नियामकीय संरचना जल्द. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि हमने निरीक्षण के क्षेत्र में अपने कार्य को अधिक पैना और गहरा बनाया है. भारतीय वित्तीय क्षेत्र आज पहले के मुकाबले कहीं बेहतर स्थिति में है, हमने बैंकों में दबाव वाली संपत्ति बढ़ने के मामले में सटीक विचार किया.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा पर आंतिरक तौर पर काफी काम कर रहा है और जल्द ही एक व्यापक दिशानिर्देश के साथ प्रगति दस्तावेज जारी किया जायेगा.