चंडीगढ़| अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव होने है, लेकिन उससे पहले कांग्रेस को मंगलवार को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब पूर्व मंत्री और विधायक राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया.
फिरोजपुर के गुरुहरसहाय से विधायक सोढ़ी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे को ट्विटर पर पोस्ट करने के साथ लिखा है कि उनसे पंजाब की घुटन और असहाय स्थिति देखी नहीं जा रही. कांग्रेस ने प्रदेश की सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भावना दांव पर लगा दी है. गहरे दुख के साथ वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं.
राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कांग्रेस को इस्तीफा भेजने के बाद पंजाब भाजपा के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा. राणा कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में खेल मंत्री थे. कैप्टन की कुर्सी चले जाने के बाद उनका मंत्री पद छीन लिया गया था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली थी.
राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर के करीबी माने जाते हैं. 67 वर्षीय राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी 1973 से राजनीति में सक्रिय हैं और उन्हें राज्य के बड़े नेताओं में से एक माना जाता है. वह 2002 में विधायक चुने गए और 2007, 2012 और 2017 में लगातार चुनाव जीते. 2018 में उन्हें कांग्रेस के मुख्य सचेतक का पद दिया गया था.
मंत्री पद जाने के बाद कांग्रेस ने उन्हें कैप्टन का करीब मानते हुए कोई बड़ी जिम्मेदारी भी नहीं सौंपी. पार्टी में उन्हें हाशिए पर धकेला जा रहा था. राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी इस वक्त गुरुहरसहाय से विधायक हैं.
बताया जा रहा है कि इस बार वह फिरोजपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उनके भाजपा में शामिल होने के बाद अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर भी सीधे तौर पर भाजपा में शामिल हो सकते हैं. चूंकि अभी भाजपा के साथ गठजोड़ को लेकर सीटों के आवंटन के समीकरण सामने नहीं आए हैं.