कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर व सिंघू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को आज (26 नवंबर) एक साल पूरे हो गए हैं. पीएम मोदी ने हालांकि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है और इस संबंध में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब इसे संसद में लाया जाना है, लेकिन किसानों ने अपना आंदोलन अभी समाप्त नहीं किया है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित कई मांगों को लेकर किसान धरना जारी रखे हुए हैं और उनका कहना है कि आंदोलन की रूपरेखा आगामी संसद सत्र में सरकार के रुख और 27 नंवबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में तय होगी. किसान नेता राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार के पास अभी इस बारे में सोचने-समझने का वक्त है.
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच मौजूद राकेश टिकैत ने कहा, ‘जब तक संसद का सत्र चलेगा तब तक सरकार के पास सोचने और समझने का समय है. आगे आंदोलन कैसे चलाना है उसका फैसला हम संसद चलने पर लेंगे. आंदोलन की रूपरेखा क्या होगी उसका फैसला भी 27 नवंबर को हाने वाली संयुक्त किसान मौर्चा की बैठक में होगा.’
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि वह पहले ही साफ कर चुके हैं कि एमएसपी पर कानून के बिना किसानों का आंदालन समाप्त नहीं होने जा रहा. उन्होंने 29 नवंबर को ट्रैक्टर लेकर दिल्ली चलने का आह्वान किसानों से किया है. साथ ही उन्हें अगले 10 दिनों के लिए पूरी तैयारी के साथ टिके रहने के लिए भी कहा है, क्योंकि उनके अनुसार, बीजेपी के नेता कानून वापसी के बाद किसानों के घर लौट जाने पर जोर दे सकते हैं.
किसान नेताओं का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ सरकार ने अभी उनकी छह में से केवल एक मांग मानी जबकि पांच मांगों पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जिसमें MSP पर कानून बनाने के साथ-साथ बिजली के बिल वापस लेने सहित अन्य मांगें भी शामिल हैं.