वाह राकेश टिकैत ! हारी हुई बाजी पूरी तरह से पलट कर रख दी. आंसुओं का सैलाब ऐसा निकला कि केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के तेवरों को भी ढीला कर गया. यही नहीं राकेश टिकैत के दिए गए भावुक संदेश के बाद विपक्ष के तमाम नेताओं ने एक बार फिर किसानों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद जो किसान आंदोलन कमजोर पड़ता दिख रहा था, उसमें फिर से जान आ गई है. गुरुवार को जैसे अटकलें लग रही थी कि किसानों का आंदोलन रात तक खत्म हो जाएगा. लेकिन एक बार फिर किसानों का आंदोलन रफ्तार पकड़ता हुआ दिख रहा है.
अब किसान आंदोलन का सेंटर सिंघु बॉर्डर नहीं बल्कि दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर है. बता दें कि आंदोलन का और धार देने के लिए पश्चिमी यूपी और हरियाणा के अलग-अलग इलाकों से किसान गाजीपुर बॉर्डर पर जुटने लगे हैं.
अब आपको गुरुवार शाम की घटनाक्रम सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं. शाम होते-होते यूपी सरकार की ओर से नोएडा और गाजियाबाद के डीएम को प्रदर्शनस्थल खाली कराने का आदेश दिया गया. उसके बाद देर शाम अधिकारी भारी सुरक्षाबल के साथ गाजीपुर बॉर्डर स्थल पर पहुंचे.
गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया. प्रशासन ने राकेश टिकैत से बात की, वहां पर मौजूद टेंट, शौचालयों को हटाना शुरू कर दिया. गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह छावनी में बदल दिया गया था, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से धरना हटवाने में सफल नहीं हो सका.
पूरी रात किसानों के आंदोलन को खत्म कराने के लिए उठापटक चलती रही आखिरकार पुलिस प्रशासन इसमें कामयाब नहीं हो सका.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार