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यादें शेष: राज कपूर के बेटे होने के बाद भी फिल्म इंडस्ट्रीज में गुमनामी में जीते रहे राजीव कपूर

राजीव कपूर
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अभी फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर के निधन से बॉलीवुड उभर भी नहीं पाई थी कि आज एक और सदमा लगा. मंगलवार दोपहर को जब यह खबर आई कि महान अभिनेता और डायरेक्टर राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने दुनिया को अलविदा कह दिया तब फिल्म इंडस्ट्रीज और उनके प्रशंसकों में ‘राम तेरी गंगा मैली के नरेंद्र की यादें ताजा हो गईं’. बता दें कि मंगलवार दोपहर राजीव कपूर का हार्टअटैक से निधन हो गया.

उनकी आयु केवल 58 साल थी. आठ महीने पहले बड़े भाई ऋषि कपूर के निधन पर राजीव कपूर दिखाई दिए थे. उस दौरान किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इतनी जल्दी कपूर खानदान को एक और क्षति होने वाली है. राजीव को मुंबई के चेंबूर में दिल का दौरा पड़ा, उन्हें हॉस्पिटल ले गए लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया.

जिस वक्त दौरा पड़ा उस दौरान सबसे बड़े भाई रणधीर कपूर पास मौजूद थे. राजीव कपूर राज कपूर और कृष्णा कपूर के बेटे और ऋषि कपूर-रणधीर कपूर के छोटे भाई थे. राजीव कपूर को चिंपू नाम से बुलाते थे राज कपूर के बेटे होने के बाद भी राजीव कपूर फिल्म इंडस्ट्रीज में गुमनामी में जीवन जीते रहे.

हालांकि इसका कारण वह अपने पिता को ही मानते थे. यहां हम आपको बता दें कि वर्ष 1988 में पिता राज कपूर के निधन के बाद राजीव कपूर तनहाई में जीते रहे. इस दौरान उनका फिल्मी करियर भी परवान नहीं चढ़ सका.

बता दें कि राजीव कपूर ने वर्ष 1983 में आई फिल्म ‘एक जान हैं हम’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके अलावा 1984 में आसमान, 1985 में लवर बॉय, 1985 में आई जबरदस्त’ जलजला, हम तो चले परदेस फिल्मों में काम किया. इसके अलावा उन्होंने प्रोड्यूसर के तौर पर फिल्म हिना, प्रेमग्रंथ और आ अब लौट चलें पर काम किया.

उनकी वैवाहिक जीवन की बात करें तो उन्होंने साल 2001 में आर्किटेक्ट आरती सबरवाल से शादी की थी, लेकिन यह शादी ज्यादा नहीं टिक सकी और दो साल बाद यानी साल 2003 में ही उनका तलाक हो गया था. साल 1985 में राज कपूर ने फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ बनाई थी.

फिल्म सुपरहिट साबित हुई लेकिन इससे राजीव कपूर को कोई फायदा नहीं मिला. यह फिल्म केवल राज कपूर के डायरेक्शन और इसकी अभिनेत्री मंदाकिनी के लिए जानी जाती है. फिल्म में मंदाकिनी का रोल इतना मजबूत था कि राजीव फिल्म में कमजोर साबित हुए. इस फिल्म की सफलता के बाद मंदाकिनी का करियर बुलंदियों पर पहुंच गया लेकिन राजीव कपूर वहीं के वहीं रह गए.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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