आज बात करेंगे राजस्थान सियासत की. चर्चा को आगे बढ़ाएं उससे पहले यह चंद लाइनें. कहावत है कि एक बार अगर संबंधों में खटास आ जाए तो उम्र भर बनी रहती है. हालांकि यह भी सच है कि रिश्ते बनने और बिगड़ने में देर भी नहीं लगती. राजस्थान की कांग्रेस सरकार में कुछ ऐसा ही हो रहा है.
प्रदेश का सियासी तापमान कई महीनों से गर्म बना हुआ है। कांग्रेस में लंबे समय से सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच चल रही तल्खी किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाती है. बात को आगे बढ़ाने से पहले आपको अगस्त 2020 यानी 7 महीने पीछे लिए चलते हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच तल्खी इस कदर बढ़ी कि अभी तक दोनों में मनमुटाव बना हुआ है. कांग्रेस केंद्रीय आलाकमान की कोशिशें भी दोनों नेताओं की दूरियां कम नहीं करा सके. पिछलेे दिनों 12, 13 फरवरी दो दिवसीय दौरे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान में किसानों की महापंचायत में पहुंचे थे.
राहुल के दौरे को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि गहलोत और सचिन पायलट के बीच संबंधों में मिठास आएगी लेकिन दोनों नेताओं की गुटबाजी और खुलकर सामने आ गई है. कुल मिलाकर राहुल गांधी का राजस्थान का दौरा मुख्यमंत्री गहलोत के लिए सियासी तौर पर फायदे में रहा और पायलट अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ते दिखाई दिए.
राहुल गांधी के गहलोत को महत्व दिए जाने पर अब सचिन पायलट के समर्थक आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. राहुल के दौरे के दौरान अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच दूरी साफ नजर आईं. दो दिन चार जिलों में हुई चार सभाओं में गहलोत और पायलट साथ रहे, लेकिन दोनों दूर-दूर ही नजर आए.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार