बंगाल में प्रचार से राहुल गांधी ने किया किनारा, मोदी-शाह-ममता को भी रैली रद करनी चाहिए

अब वाकई अच्छा नहीं लगता है नेताओं का चुनाव प्रचार. कोरोना के जबरदस्त संकटकाल में नेताओं का मंच से खड़े होकर एक दूसरे राजनीतिक दलों पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना, देशवासियों को भी अब पसंद नहीं आ रहा है. अच्छा होता इस संकट काल से निपटने के लिए सभी पार्टियां ‘एक मंच’ पर आकर खड़ी होतीं. इस महामारी की वजह से हर रोज लोग अस्पतालों और सड़कों पर अपनी जान गंवा रहे हैं.

फिर भी ‘कई नेताओं ने बंगाल में प्रचार का पूरा ही कार्यक्रम करने की ठान ली है’. रविवार को कांग्रेस नेता ने अच्छी पहल की. बता दें कि देश में कोरोना महामारी के बेकाबू होने पर राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार से अपने आपको किनारा कर लिया है. यानी राहुल अब बंगाल में कोई जनसभा नहीं करेंगे. ‘राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कोविड की स्थिति को देखते हुए मैं पश्चिम बंगाल में अपनी सभी सार्वजनिक रैलियों को रद कर रहा हूं’.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का यह फैसला सराहनीय कहा जा सकता है. कांग्रेस सांसद राहुल ने बाकी नेताओं को भी बड़ी सार्वजनिक रैलियों के परिणामों पर विचार करने की सलाह दी है, राहुल ने कहा कि वे ऐसे हालात में बड़ी जनसभाएं करने का ‘अंजाम’ सोच लें. रैलियां रद करने की घोषणा से थोड़ी देर पहले ही राहुल ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

यहां हम आपको बता दें कि ‘मोदी ने बंगाल की एक रैली में जनसमूह को देखकर कहा था कि उन्‍होंने यहां इतनी भीड़ पहली बार देखी है. इसी बात पर कटाक्ष करते हुए राहुल ने रविवार सुबह ट्वीट क‍िया था, बीमारों और मृतकों की भी इतनी भीड़ पहली बार देखी है’. राहुल का आरोप है कि मोदी सरकार कोविड-19 से उपजीं परिस्थितियां संभाल नहीं पा रही है. शनिवार को भी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला.

राहुल गांधी ने लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बंगाल में चुनावी रैली करने के लिए जिम्मेदार बताया था. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मोदी द्वारा मचाई गई तबाही है. उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में देर से एंट्री की थी. आठ चरणों में होने वाले बंगाल चुनाव में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पिछले दिनों दो चुनावी जनसभाएं की थी.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं. राहुल के इस फैसले के बाद भाजपा और टीएमसी नेताओं को भी बंगाल में चुनाव प्रचार से दूरी बना लेनी चाहिए.


शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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