यहां हम आपको बता दें कि बुधवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि गाड़ी में अगर अकेला व्यक्ति है, तो भी उसे मास्क पहनना अनिवार्य होगा. ‘हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद चुनावी रैलियों में कोरोना नियमों की अनदेखी कर जुट रही भीड़ को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम प्रतिक्रियाओं का दौर दिखाई दिया.
लोगों ने कमेंट करके नेताओं के चुनावी जनसभाओं में खुलेआम धज्जियां उड़ाने पर सवाल भी पूछे थे’. आम लोगों और राजनीतिक दलों के साथ दोहरा रवैया को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश भी देखा गया.
‘इस पर अदालत ने गंभीरता से लेते हुए आज दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. अब चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों को अपना जवाब दाखिल करना होगा कि चुनाव रैलियां जिस तरह से हो रही हैं और भीड़ कोरोना नियमों की अनदेखी कर रही है, इसे देखते हुए क्यों न मास्क को अनिवार्य कर दिया जाए’. अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी.
आपको बता दें कि पिछले 24 घंटे के अंदर देश में 1 लाख 26 हजार नए कोरोना केस सामने आए हैं. देश में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए पाबंदियां लगाई जा रही हैं. कहीं पर नाइट कर्फ्यू तो कहीं पर संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया हैैै. इसके साथ ही लगभग सभी राज्य सरकारों ने लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है, यही नियम नेताओं के लिए भी लागू होना चाहिए.
ऐसे ही उत्तर प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी योगी सरकार को आगाह करते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच चुनाव कराना जनहित के खिलाफ है.
कोर्ट ने कहा कि इससे भारी संख्या में लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस उम्मीद के साथ हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि पंचायत चुनावों के दौरान सभी जरूरी गाइडलाइन और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाए.
वहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार ने चुनाव को लेकर आचार संहिता जारी कर दी है, ऐसे में चुनाव को रोकना ठीक नहीं होगा. बता दें कि पंचायत चुनाव जमीन पर ही रहकर लड़ा जाता है.
ऐसे में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ उत्तर प्रदेश की जनता के लिए भी मास्क पहना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना आसान नहीं होगा. कोई भी दल जनता को नाराज करना नहीं चाहेगा.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार