टोक्यो|…. सोमवार को जापान की राजधानी टोक्यो में भारत समेत 13 देशों ने इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के लिए हस्ताक्षर किए. एकीकृत, लचीला और स्वच्छ अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से प्रस्तावित ये एक नई आर्थिक व्यवस्था है.
वहीं बाइडेन की पहल का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समावेशी और लचीले इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के लिए सभी इंडो-पैसिफिक देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध किया.
साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी घोषणा की कि लचीला आपूर्ति श्रृंखला की नींव फ्रेमवर्क के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र है, जो साफ तौर से चीन के दृष्टिकोण का विकल्प प्रदान करेगा. इसके अलावा उन्होंने 3टी (विश्वास, पारदर्शिता और समयबद्धता) का मंत्र भी दिया.
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि ये ढांचा इन तीन स्तंभों को मजबूत करने में मदद करेगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा.
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क में भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई और विएतनाम शामिल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि वे 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के लिए नए नियम लिख रहे हैं, जो उनकी अर्थव्यवस्थाओं को तेजी से और निष्पक्ष रूप से बढ़ने में मदद करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापान के पीएम फुमियो किशिदा के साथ लॉन्च के लिए मौजूद रहे पीएम मोदी ने इस पहल के लिए बाइडेन को धन्यवाद दिया. साथ ही कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विनिर्माण, आर्थिक गतिविधि, वैश्विक व्यापार और निवेश का केंद्र है.
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि भारत सदियों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के व्यापार प्रवाह में एक प्रमुख केंद्र रहा है. दुनिया का सबसे पुराना वाणिज्यिक बंदरगाह भारत के मेरे गृह राज्य गुजरात में लोथल में था और इसलिए ये जरूरी है कि हम क्षेत्र की आर्थिक चुनौतियों के लिए साझा और रचनात्मक समाधान खोजें.
बाइडेन की इस पहल का स्वागत करते हुए भारत सरकार ने एक बयान में कहा कि आईपीईएफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए काम करेगा. साथ ही बयान में आगे कहा गया है कि भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है और मानता है कि निरंतर विकास, शांति और समृद्धि के लिए भागीदारों के बीच आर्थिक जुड़ाव को गहरा करना महत्वपूर्ण है.
भारत आईपीईएफ के तहत भागीदार देशों के साथ सहयोग करने और क्षेत्रीय आर्थिक संपर्क, एकीकरण और क्षेत्र के भीतर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का इच्छुक है.