उत्तराखंड: पुष्कर सिंह धामी आज लेंगे सीएम पद की शपथ, सामने हैं ये चुनौतियां

देहरादून| रविवार 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. चार महीने के भीतर वह तीसरे मुख्यमंत्री होंगे. चार महीने पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने सीएम पद की शपथ ली थी और शनिवार 3 जुलाई को तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पुष्कर सिंह धामी का नाम मुख्यमंत्री के रूप में तय किया गया.

ऊधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक चुने जाने वाले पुष्कर सिंह धामी बीजेपी के युवा नेता हैं और उत्तराखंड में अभी तक बने सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे युवा हैं. वैसे जितनी कम उम्र में वे मुख्यमंत्री बनने वाले हैं उनके लिए यह राह उतनी आसान भी नहीं है.

उन्हें अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और इससे निबटने के लिए उनके पास समय भी बहुत कम है. दरअसल, 7 महीने बाद अगले साल उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव होंगे. ऐसे में उन्हें इतने कम समय में ही पार्टी और जनता के सामने अपने आप को एक अच्छे मुख्यमंत्री के रूप में पेश करना होगा. ऐसे भी उत्तराखंड में हर पांच साल पर सरकार बदल जाती है.

ऐसे में उनके ऊपर और दबाव होगा. लेकिन खास बात यह है कि बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे को आगे करके ही चुनाव लड़ती है. यदि पिछले 7 साल के रिकॉर्ड देखें तो बीजेपी अजय बनी हुई है. वह बहुत कम ही चुनाव हारती है. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में 70 में से 57 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में सीटों की संख्या भी धामी के ऊपर प्रेशर बनाएगी. आइए आखिर जानते हैं कि धामी के सामने कौन- कौन सी चुनौतियां हैं.

यह चुनाव उनके लिए परीक्षा से कम नहीं होगा
बता दें कि चारधाम यात्रा कोरोना संक्रमण के कारण अभी शुरू नहीं हो पाई है. पिछली तीरथ सरकार ने एक जुलाई से तीन जिलों के लिए यात्रा खोलने का निर्णय लिया था, लेकिन मामला अदालत में पहुंच गया. ऐसे में अब सबकी निगाहें नई सरकार पर टिकी है. आखिर वे क्या फैसला करते हैं. वहीं, नए मुख्यमंत्री धामी को कामकाज के लिए लगभग आठ माह का ही समय मिलेगा. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनको अपने आप को साबित करना होगा. यह चुनाव उनके लिए परीक्षा से कम नहीं होगा.

सरकार व संगठन में सामंजस्य बैठाना है
वहीं, पुष्कर सिंह धामी के सामने तीसरी चुनैती सरकार व संगठन में सामंजस्य बैठाना है. नए मुख्यमंत्री धामी के समक्ष सरकार और भाजपा संगठन के बीच बेहतर सामंजस्य बैठाने की बड़ी चुनौती भी रहेगी. साथ ही उन्हें नौकरशाही पर लगाम भी लगाना होगा. बेलगाम नौकरशाही की कारगुजारियां अक्सर सुर्खियां बनती हैं. वहीं, इन सबके अलावा उन्हें प्रदेश में विकास की गति को भी तेज करना होगा. ताकि, अपनी 8 महीने के कार्यकाल को जनता के सामने चुनाव के दौरान रख सकें. खासकर गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के बीच संतुलन साधकर सर्वांगीण विकास का खाका तैयार कर इसे धरातल पर आकार देना होगा. वहीं, धामी को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से भी अच्छे तरह से टैकल करना होगा.

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