पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कांग्रेस के 15 विधायकों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है. चार मंत्री जो अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा थे, उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया है.
कांग्रेस आलाकमान के साथ तीन दौर की बैठक के बाद शनिवार को चन्नी के नेतृत्व में पंजाब के नए मंत्रिमंडल को अंतिम रूप दिया गया. चंडीगढ़ में सदस्यों ने पद और गोपनियता की शपथ ली.
राजभवन में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मंत्रियों को शपथ दिलाई. कांग्रेस विधायक ब्रह्म मोहिंद्रा और मनप्रीत सिंह बादल ने पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ ली. विधायक तृप्त सिंह बाजवा, अरुणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और राणा गुरजीत सिंह भी मंत्री बने. विधायक रजिया सुल्ताना, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु और रणदीप सिंह नाभा ने पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.
चन्नी के मंत्रिमंडल विस्तार से ठीक पहले कांग्रेस की कलह सामने आ गई. कैबिनेट फेरबदल में कैप्टन के पांच करीबी मंत्रियों को ड्रॉप कर दिया गया. जिसकी आशंका पहले से लगाई जा रही थी. कैप्टन के जिन करीबियों को मंत्रिमंडल से ड्राप किया गया है.
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेस की और हाईकमान से अपना कसूर पूछा. दूसरी तरफ राणा गुरजीत सिंह जिन्हें करप्शन के मामले में कैप्टन ने मंत्रिमंडल से निकाल दिया था, उन्हें चन्नी कैबिनेट में उन्हें दोबारा से जगह दी गई है. बाकी ज्यादातर युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. IYC के पूर्व अध्यक्ष अमरेन्द्र सिंह राजा वारिंग को मंत्रिमंडल में जगह मिली है.
राणा गुरजीत के खिलाफ 6 विधायकों ने मोर्चा खोल दिया. गुरजीत को कैबिनेट में शामिल नहीं करने की मांग उठी. PCC चीफ नवजोत सिद्धू को पत्र लिखकर कांग्रेस विधायकों ने घोटाले के आरोपों का हवाला दिया और मांग की कि मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल नहीं किया जाए.