भारत सरकार द्वारा संसद शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों के निरस्त किए जाने और किसानों की अन्य लंबित सभी मांगों को मान लेने के बाद आखिरकार किसान आंदोलन पर विराम लग गया.
किसान नेताओं ने गुरुवार को एक अहम बैठक में आंदोलन को फिलहाल स्थगित रखने का फैसला लिया. किसानों ने कहा कि 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे, जिसमें सरकार के आश्वासनों पर उसके रुख को लेकर आगे का फैसला लिया जाएगा.
दरअसल, किसानों ने यह फैसला सरकार द्वारा उनकी अन्य सभी मांगों को मान लेने का औपचारिक पत्र भेजने के बाद ली. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर भारत सरकार द्वारा भेजे गए इस खत में ऐसी कौन सी बातें हैं, जिसके चलते सालभर चला यह गतिरोध फिलहाल समाप्त हो गया.
सरकार की तरफ से यह पत्र कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा यह पत्र किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा को भेजा गया.
इस पत्र में किसान आंदोलन के लंबित विषयों के संबंध में समाधान की दृष्टि से भारत सरकार की ओर से नियम अनुसार 5 प्रस्ताव रखे गए और कहा गया कि उपरोक्त प्रस्तावों से लंबित पांचों मांगों का समाधान हो जाता है. अब किसान आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं रहता है. लिहाजा किसान आंदोलन को समाप्त किया जाए..
पढ़ें, सरकार की तरफ से रखे गए प्रस्ताव…
1. एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है. जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे. यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधि में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. कमेटी का एक मैंडेट यह होगा कि देश के किसानों को एमएसपी मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए. सरकार बातचीत के दौरान पहले ही आश्वासन दे चुकी है कि देश में एमएसपी पर खरीदारी की अभी की स्थिति को जारी रखा जाएगा.
2. जहां तक किसान आंदोलन के वक्त केसों का सवाल है, यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णता सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित सभी केसों को वापस लिया जाएगा. 2 A) किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभागों और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है. भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को भी अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्यवाही करें.
3. मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है. उपयुक्त दोनों विषयों (क्रमांक 2 एवं 3) के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है.
4. बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी. मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा.
5. जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है.