शुक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर एम्स से उनके 12 जनपथ स्थित सरकारी घर पर लाया गया. वहां पीएम मोदी ने पासवान को श्रद्धांजलि दी.
उनके साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी थे. पासवान का पार्थिव शरीर शाम 3 बजे प्लेन से पटना ले जाया जाएगा.
वहां लोजपा ऑफिस में भी अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा. शनिवार को पटना के दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया.वे पिछले कुछ महीनों से बीमार थे और 22 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे. पीएम ने पासवान के निधन पर कहा कि अपना दुख शब्दों में बयां नहीं कर सकता.मैंने अपना दोस्त खो दिया.पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे.
पासवान 11 सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे.एम्स में 2 अक्टूबर की रात उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी.इससे पहले भी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी.
1969 में पहली बार विधायक बने पासवान अपने साथ के नेताओं, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से सीनियर थे.
1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया, 1977 में उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ली और हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से जीते.तब सबसे बड़े मार्जिन से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड पासवान के नाम ही दर्ज हुआ.
2009 के चुनाव में पासवान हाजीपुर की अपनी सीट हार गए थे.तब उन्होंने NDA से नाता तोड़ राजद से गठजोड़ किया था.चुनाव हारने के बाद राजद की मदद से वे राज्यसभा पहुंच गए और बाद में फिर NDA का हिस्सा बन गए.
2000 में उन्होंने अपनी लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) बनाई.पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन में 11 बार चुनाव लड़ा और 9 बार जीते.
2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा, वे राज्यसभा सदस्य बने.मोदी सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे.
पासवान के नाम कई उपलब्धियां हैं.हाजीपुर में रेलवे का जोनल ऑफिस उन्हीं की देन है.अंबेडकर जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा पासवान की पहल पर ही हुई थी.
राजनीति में बाबा साहब, जेपी, राजनारायण को अपना आदर्श मानने वाले पासवान ने राजनीति में कभी पीछे पलट कर नहीं देखा.वे मूल रूप से समाजवादी बैकग्राउंड के नेता थे.