आम आदमी को जल्द ही पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से राहत मिल सकती है. इसके लिए केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को वस्तु व सेवा कर के दायरे में लाने का फैसला ले सकती है.
दरअसल, जीएसटी पर मंत्रिस्तरीय समिति एक राष्ट्रीय दर के तहत पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाने पर विचार करेगी. इससे उपभोक्ता मूल्य और सरकारी राजस्व में बड़े बदलाव के दरवाजे खुल जाएंगे.
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में ये समिति 17 सितंबर 2021 को पेट्रोल-डीजल को जरएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव की जांच करेगी.
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनकी कीमतों को घटाने में केंद्र सरकार को बड़ी मदद मिलेगी. बता दें कि हाल के महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें केंद्रीय और राज्य सरकारों की तरफ से लगाए गए टैक्स के कारण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं.
डीजल और गैसोलीन देश के आधे से अधिक ईंधन की खपत करते हैं. देश में ईंधन की लागत का आधे से ज्यादा हिस्सा टैक्स होता है. बताया जा रहा है कि शुक्रवार की बैठक में जीएसटी पैनल कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाओं पर 31 दिसंबर 2021 तक रियायतें देने पर विचार करेगा.
जीएसटी सिस्टम में किसी भी बदलाव के लिए समिति के तीन-चौथाई सदस्यों की ओर से मंजूरी की जरूरत होगी. इसमें सभी राज्यों और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. हालांकि, इनमें से कुछ ने जीएसटी सिस्टम में ईंधन को शामिल करने का विरोध किया है.
उनका मानना है कि इससे राज्य का एक अहम राजस्व जुटाने वाला प्रोडक्ट केंद्र सरकार के हाथों में चला जाएगा. बता दें कि एक अदालत ने भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करने को कहा था. हालांकि, वित्त मंत्रालय या उसके प्रवक्ता की ओर से अब तक इस पर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है.
साभार-न्यूज़ 18