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रूस-यूक्रेन युद्ध से भड़की कच्चे तेल की कीमतें, 14 साल बाद रिकॉर्ड हाई पर पहुंचे दाम

सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें 9 फीसदी से भी अधिक बढ़ गईं. संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहे हैं और वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल की संभावित वापसी में देरी से आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.

इतना बढ़ गया कच्चे तेल का दाम
सोमवार को ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 12.61 डॉलर या 10.6 फीसदी उछलकर 130.72 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (West Texas Intermediate, WTI) क्रूड 10.41 डॉलर या 9 फीसदी चढ़कर 126.09 डॉलर पर पहुंच गया.

सोमवार को व्यापार के कुछ मिनटों में, दोनों बेंचमार्क 10 डॉलर प्रति बैरल से अधिक बढ़कर जुलाई 2008 के बाद के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए. ब्रेंट 139.13 डॉलर और डब्लूटीआई 130.50 डॉलर पर पहुंच गया था.

यूक्रेन पर हमला करने की वजह से रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों की मांग की जा रही है. लीबिया की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने कहा कि एक सशस्त्र समूह ने दो अहम तेल क्षेत्रों को बंद कर दिया था, जिसके बाद तेल की कीमतें अधिक दबाव में आ गईं.

यूएस हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा कि सदन रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग करने के लिए कानून तलाश रहा है, जिसमें अमेरिका में उसके तेल और ऊर्जा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है.

अन्य वस्तुओं के साथ 2022 की शुरुआत के बाद से वैश्विक तेल की कीमतों में 67 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे वैश्विक आर्थिक विकास और stagflation के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं.

पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच रूस से तेल और नेचुरल गैस के आयात पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बातचीत जारी है. ब्लिंकन ने रविवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक दिन पहले अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक की थी.

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