आज बात किसी राजनीतिक पार्टी की न होकर देश के प्रथम नागरिक की होगी. जैसा कि आप जानते हैं प्रथम नागरिक का आशय राष्ट्रपति (महामहिम) से होता है. रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए करीब चार साल हो गए हैं. उनके कार्यकाल को एक साल बचा हुआ है. ऐसे में राष्ट्रपति कोविंद एक ‘यादगार सफर’ करना चाहते हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाए .
राष्ट्रपति रहते हुए कोविंद कल 25 जून को पहली बार ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं. इसके लिए भारतीय रेलवे कई दिनों से तैयारियों में जुटा हुआ है. दरअसल ‘राष्ट्रपति का ट्रेन से यात्रा करने का मुख्य उद्देश्य अपने बचपन की पुराने दिनों की यादों को ताजा करना है’. राष्ट्रपति की इस पहल से उनके गांव वाले भी उत्साहित हैं .
यहां हम आपको बता दें कि ‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में अपने जन्म स्थान की यात्रा के लिए ट्रेन में सफर करेंगे. इस दौरान वह स्कूल के दिनों और समाजसेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों के साथ मुलाकात करेंगे’.
15 साल बाद ट्रेन से यात्रा करने वाले कोविंद दूसरे राष्ट्रपति होंगे. इससे पहले साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने ट्रेन में सफर किया था. वह भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के कैडेट की पासिंग आउट परेड में शामिल होने के लिए विशेष ट्रेन से दिल्ली से देहरादून गए थे. कोविंद 25 जून को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से कानपुर के लिए रवाना होंगे. ‘ट्रेन कानपुर देहात के ‘झींझक और रूरा’ दो जगह रुकेगी, जहां राष्ट्रपति स्कूल के दिनों और समाजसेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों से मिलेंगे .
बता दें कि राष्ट्रपति के जन्मस्थान परौंख गांव कानपुर देहात के पास हैं. जब गांव वालों को मालूम पड़ा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ट्रेन से आ रहे हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा . काफी अरसे के बाद वे अपने गांव के राष्ट्रपति को देख सकेंगे. उल्लेखनीय है कि महामहिम काफी समय से ट्रेन की यात्रा करने के लिए सोच रहे थे लेकिन कोविड-19 की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए.
महामहिम की विशेष ट्रेन में किए गए सुरक्षा के खास इंतजाम
महामहिम रामनाथ कोविंद जिस ट्रेन से जाएंगे वह प्रेसिडेंशियल ट्रेन है. इस ट्रेन की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं. ट्रेन दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से शुरू होकर गाजियाबाद, अलीगढ़, हाथरस टूंडला, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा होकर कानपुर पहुंचेगी. प्रेसिडेंशियल ट्रेन में दो विशेष कोच लगाए गए हैं, जिनमें बुलेटप्रूफ शीशे लगे हैं.
इस ट्रेन में पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगा है. सुरक्षा के मद्देनजर इस ट्रेन के आगे एक खाली इंजन भी दौड़ेगा, जिससे इस बात की जानकारी मिल सके कि ट्रैक में कोई दिक्कत तो नहीं है. रेलवे लाइन के दोनों तरफ पुलिस का सख्त पहरा भी रहेगा. यह ट्रेन दिल्ली से शुक्रवार की दोपहर डेढ़ बजे रवाना होगी और शाम 7 बजे कानपुर पहुंचेगी. राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, राष्ट्रपति कोविंद 25 जून की शाम को पहुंचेंगे.
27 जून को गांव में दो स्वागत कार्यक्रम में शामिल होंगे. 28 जून को कोविंद कानपुर सेंट्रल से इसी ट्रेन से दो दिन की यात्रा पर लखनऊ जाएंगे. 29 जून को वह विशेष विमान से नई दिल्ली लौटेंगे. यहां हम आपको बता दें कि ‘देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद अक्सर ट्रेन से यात्राएं किया करते थे. राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के तुरंत बाद ही उन्होंने बिहार की अपनी यात्रा के दौरान सीवान जिले में अपने जन्मस्थान गांव जीरादेई का दौरा किया था’.
वह छपरा से राष्ट्रपति की विशेष ट्रेन में सवार होकर जीरादेई पहुंचे थे जहां उन्होंने तीन दिन बिताए. यही नहीं राजेंद्र प्रसाद ने देश भर में ट्रेन से यात्रा की. बहरहाल ट्रेन से यात्रा को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी खुशी जताई है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार