चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी के साथ अपने संबंधों को लेकर कई खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के बगैर असरदार विपक्ष मुमकिन नहीं है.
वहीं, उन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए हैं. हाल ही में दिए एक साक्षात्कार के दौरान किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने को लेकर भी चर्चा की. बीते साल खबरें आई थीं कि किशोर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं.
मीडिया से बातचीत में किशोर ने कहा, ‘बंगाल के नतीजों के बाद सबसे ज्यादा समय मैंने कांग्रेस के साथ बातचीत में गुजारा है. लगभग पांच महीनों तक मई और सितंबर के बीच मैंने अपना हर मिनट दिया है.’
उन्होंने बताया कि वे करीब दो सालों से पार्टी के साथ चर्चा में बने हुए हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरों को यह स्वभाविक लगता है कि प्रशांत किशोर औऱ कांग्रेस को साथ आना चाहिए और काम करना चाहिए. लेकिन साथ काम करने के लिए दोनों पक्षों को भरोसा करना होगा. कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हुआ.’
उन्होंने कहा, ‘साथ आने के लिए भरोसा करने की जरूरत होती है और कई कारणों से हम भरोसा नहीं कर सके. उदाहरण के लिए मेरी तरफ से यूपी (2017 चुनाव) पर साथ काम करने का अनुभव खराब रहा. और इसलिए मुझे बहुत संदेह रहा. मैं अपने हाथ बांधकर काम नहीं करना चाहता था.’
उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी में शामिल होने जा रहा था. यह एक खास चुनाव के बारे में नहीं था. यह 2024 चुनाव के बारे में भी नहीं था. यह कांग्रेस को दोबारा तैयार करने के बारे में था.’ किशोर ने बताया कि वे पार्टी के साथ ’90’ फीसदी मुद्दों पर सहमत थे.
उन्होंने कहा, ‘मैं एक संस्था के रूप में कांग्रेस को पसंद करता हूं. जिस विचार और स्थान का यह प्रतिनिधित्व करती है, उसके बगैर एक प्रभावी विपक्ष मुमकिन नहीं है. हालांकि, उसका मतलब यह नहीं है कि इसके लिए मौजूदा नेतृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस का होना जरूरी है. भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस में सुधार की जरूरत है.’