प्रयागराज| अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी केस में कई अनसुलझे सवाल हैं. नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक वो एक डर के साए में जी रहे थे और उन्हें लगता था कि जिंदगी खत्म कर लेना ही उनकी समस्या का समाधान होगा.
सुसाइड लेटर में उन्होंने साफ तौर पर जिन तीन नामों को लिया है उनका गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन मामले की तह तक पहुंचने के लिए एसआईटी जांच भी जारी है.
फांसी पर लटकने से महंत नरेंद्र गिरी की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है. गले के चारों ओर एक संयुक्ताक्षर का निशान पाया गया.कोई एंटी मॉर्टम इंजरी नहीं.
फांसी के कारण दम घुटने’ को प्रथम दृष्टया मौत का कारण बताया गया है.विसरा विश्लेषण के लिए सुरक्षित रखा गया है. नरेंद्र गिरी की मौत के बारे में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे मसलन की हत्या भी हो सकती है.
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चल रहा है कि उनके मरने की वजह खुदकुशी है. बता दें कि वारदात वाली जगह से जो सुसाइड नोट मिला था उसमें उन कारणों के बारे में बताया गया था जिसकी वजह से नरेंद्र गिरी को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा.
बता दें कि इस केस में नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरी की गिरफ्तारी हुई जिसे दोपहर दो बजे अदालत में पेश किया जाएगा. उससे करीब 12 घंटे एसआईटी की टीम ने पूछताछ की थी और राज उगलवाने की कोशिश हुई. बताया जा रहा है कि उसने कहा कि हाल फिलहाल में उसका महंत जी से किसी तरह का विवाद नहीं था उसे जानबूझकर फंसाया गया है. आनंद गिरी ने बताया कि यह बात सच है कि कुछ मुद्दों पर उसका महंत जी से मतभेद था. लेकिन उसे दूर कर लिया गया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी वजह रही होगी जिसके बाद नरेंद्र गिरी ने अपनी जिंदगी को खत्म करने का फैसला किया. अगर सुसाइट नोट पर ध्यान दें तो नरेंद्र गिरी खास तौर पर तीन नामों का जिक्र करते हैं जिसमें आनंद गिरी का नाम प्रमुख तौर पर शामिल है.
वो कहते हैं कि किस तरह से वो उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. सुसाइड नोट में अगर महंत नरेंद्र गिरी ने अपनी परेशानी का जिक्र किया तो आगे यह भी बताया था कि कैसे मठ के काम को आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है. कुछ खास लोगों का जिक्र कर उन्हें मदद करने की बात भी कही गई थी.
साभार-टाइम्स नाउ