17 मई (सोमवार) ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान पूर्वक मंत्रोचारण के साथ मेष लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र में प्रात: पांच बजे खुल गये हैं. कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रात: तीन बजे से शुरू हो गयी थी.
हालांकि, पिछले वर्ष की तरह इस बार भी कोविड-19 के कारण बाबा भोले के धाम के कपाट खोले जाने के दौरान श्रद्धालु उपस्थित नहीं थे और सीमित लोगों की मौजूदगी में ही समारोह हुआ.
रावल भीमाशंकर एवं मुख्य पुजारी बागेश लिंग, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह एवं रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल ने पूरब द्वार से मंदिर के मुख्य प्रांगण में प्रवेश किया तथा मुख्य द्वार पर पूजा-अर्चना के बाद भगवान शिव के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए.
मंदिर के कपाट खुलने के पश्चात मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग को समाधि से जागृत किया तथा निर्वाण दर्शनों के पश्चात श्रृंगार तथा रूद्राभिषेक पूजाएं की गयी. केदारनाथ धाम में प्रथम रूद्राभिषेक पूजा प्रधानमंत्री की ओर से की गयी तथा जनकल्याण की कामना की गयी.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बाबा केदार के धाम के पट खुलने पर श्रद्धालुओं को शुभकामनांए देते हुए उनसे अपील की कि वे अपने घरों में रहकर ही पूजा अर्चना करें. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड एवं मंदिर समितियों द्वारा चारों धामों में पहली पूजाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जनकल्याण के लिए की गईं.
मंगलवार 18 मई को चमोली में स्थित भगवान बदरीनाथ के कपाट सुबह सवा चार बजे ब्रहममुहूर्त में खुल जाएंगे,कोविड के कारण यहां भी श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं होगी. पहले, शुक्रवार 14 मई को यमुनोत्री के कपाट और शनिवार 15 मई को गंगोत्री के कपाट खोले जाने के दौरान भी यही व्यवस्था लागू की गई थी.
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में चारधामों के नाम से मशहूर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर साल छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं. गढ़वाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा पर भी कोविड का साया पड़ा है. पिछले साल नियत समय से देर से शुरू हुई चारधाम यात्रा को इस बार भी कोविड मामलों में उछाल आने के चलते फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.