एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी सरकार और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच घमासान शुरू है. लेकिन इस बार ‘दोनों के बीच सियासी जंग का कारण कोई बड़ा राजनीतिक एजेंडा नहीं है, बल्कि एक ऐसा पुरस्कार है जो सपा सरकार में खूब लोकप्रिय होता रहा है’. हम बात कर रहे हैं ‘यश भारती पुरस्कार की’.
साल 2017 में भाजपा की सरकार आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पुरस्कार पर ‘बैन’ लगा दिया था. तभी से समाजवादी पार्टी सीएम योगी पर हमलावर बनी हुई है. दूसरी ओर भाजपा सरकार के यश भारती पुरस्कार को खत्म करने पर प्रदेश में आलोचना भी की गई थी.
अब जाकर योगी सरकार ने ‘पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर संस्कृत पुरस्कार देने की शुरुआत करने जा रही है’. बता दें कि यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों को दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट 2021 के लिए इस पुरस्कार का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया है.
गौरतलब है कि पर्यटन राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने फरवरी महीने में इस पुरस्कार की घोषणा की थी. अब विभाग ने 25 विभूतियों को पुरस्कार देने का प्रस्ताव तैयार किया है. पहला पुरस्कार पांच लाख रुपये पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर देने का प्रस्ताव रखा गया है, इसके अलावा 24 पुरस्कार में दो- दो लाख रुपये की राशि दी जाएगी.
बता दें कि समाजवादी पार्टी सरकार में यश भारती पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपये दिए जाते थे और 50 हजार रुपए की पेंशन भी दी जाती थी, लेकिन योगी सरकार ने यश भारती पेंशन बंद कर दिया था. जब इसकी चारों ओर आलोचना हुई तब जाकर यूपी सरकार ने इसे घटाकर 25 हजार महीने कर दिया था.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार