जयंती विशेष: जयंती पर राजनीतिक दलों में स्वामी विवेकानंद को अपना बनाने की छिड़ी लड़ाई

चुनाव में वोट पाने के लिए कुछ भी करेगा. वह सभी सियासी दांव चलेगा जिससे मतदाताओं को अपना बनाया जा सके. जी हां ऐसा ही पश्चिम बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश और राजधानी दिल्ली तक सुनाई दे रहा है. कुछ समय से ‘राजनीतिक दलों में देश के महापुरुषों को अपना बनाने को लेकर खूब सियासी लड़ाई छिड़ी हुई है’.

चलिए अब बात को आगे बढ़ाते हैं, आज 12 जनवरी है. इस दिन विश्व प्रसिद्ध महान दार्शनिक और विचारक स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है. आज के दिन देश में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ भी मनाया जाता है. इस मौके पर युवा वर्ग अपने प्रेरणा स्रोत विवेकानंद को याद करते हुए उनके विचारों को आत्मसात करते हैं. लेकिन इस बार ‘स्वामी विवेकानंद की जयंती पूरी तरह सियासत का रंग चढ़ा हुआ है’.

आपको बता दें कि कुछ ही महीनों बाद पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. कई दिनों से स्वामी विवेकानंद की जयंती को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस यानी ममता बनर्जी के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है.

दिल्ली से भाजपा केंद्रीय आलाकमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विवेकानंद की जयंती को लेकर ललकार रहे हैं. ‘बंगाल की धरती पर जन्मे विवेकानंद पर तृणमूल कांग्रेस सबसे पहले अपना हक जता रही है, दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना है कि विवेकानंद की विचारधाराओं से हमारी पार्टी प्रेरित है’.

भाजपाई इस बार ममता के गढ़ में विवेकानंद की जयंती पर बड़ा आयोजन कर रहे हैं. बंगाल चुनाव से पहले टीएमसी और भाजपा विवेकानंद को अपने साथ खड़ा करना चाहती है, क्योंकि आज भी बंगाल का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिस पर विवेकानंद के विचारों और आध्यात्म का बहुत प्रभाव है.

अच्छा होता आज विवेकानंद की जयंती पर तृणमूल और भाजपा के नेता उनके विचारों को वास्तविक रूप से अमल में लाते हैं और एक स्वस्थ राजनीति और राष्ट्रवाद का नारा देते. अब बात करेंगे उत्तर प्रदेश की.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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