आज बात होगी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कानून की. योगी की बनाई गई यह न्याय व्यवस्था राजनीति से लेकर ब्यूरोक्रेट्स में भी टकराव बढ़ता जा रहा है. विपक्षी पार्टी समेत कई मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
यही नहीं इस कानून को लेकर यूपी पुलिस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी भी भाजपा सरकार पर हमले बोल रही है.जी हां हम बात कर रहे हैं योगी सरकार के पिछले वर्ष नवंबर महीने में बनाए गए ‘लव जिहाद कानून की’. इसी कानून को लेकर पिछले दिनों से रिटायर्ड अफसरों के बीच ‘सियासी जंग’ छिड़ी हुई है.
5 दिन पहले 104 पूर्व नौकरशाहों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को इस लव जिहाद कानून पर चिट्ठी लिखकर अपना आक्रोश जताया था.इन पूर्व अफसरों ने लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि यूपी राजनीति घृणा, विभाजन और कट्टरता का केंद्र बन गया है और शासन के संस्थान ‘सांप्रदायिक जहर’ में शामिल हो गए हैं.
योगी का विरोध करने वालों में पूर्व नौकरशाहों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे पूर्व अफसर शामिल थे। इसके बाद यह चिट्ठी सीएम योगी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी. लेकिन सोमवार को एक बार फिर योगी के चेहरे पर मुस्कान दिखाई दी.
अब आपको बताते हैं योगी के मुस्कान की वजह.इस बार 104 रिटायर्ड अफसरों के मुकाबले 224 पूर्व अफसरों ने योगी आदित्यनाथ का लव जिहाद कानून पर खुलकर समर्थन किया, योगी के समर्थन में उतरे पूर्व सैनिक, पूर्व न्यायाधीश और बुद्धिजीवियों ने जवाबी चिट्ठी लिखते हुए योगी सरकार के काम की तारीफ की.
साथ ही ‘लव जिहाद’ कानून बनाने पर उनकी पीठ थपथपाई, यही नहीं इन्होंने पिछले दिनों 104 रिटायर अफसरों के योगी को लिखी चिट्ठी की आलोचना भी की है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार