प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, कोरोना की दूसरी लहर और उससे भारतवासियों की लड़ाई जारी है. दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी इस लड़ाई के दौरान बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है.
पीएम मोदी ने कहा, हममे से कोई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है, ऐसे लोगों के साथ मेरी पूरी संवेदना है. साथियो बीते 100 वर्षों में आई से ये सबसे बड़ी महामारी है. इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और न अनुभव की थी. इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चो पर एकसाथ लड़ा है. कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू, वेटिंलेटर से टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार किया गया.
दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी. भारत के इतिहास में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई थी. इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया, ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स विमान, नौसेना के जहाज को लगाया गया.
कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है. मास्क और दो गज की दूरी ही अचूक हथियार है. वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है. पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं, गिनी-चुनी हैं.
आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे.पोलियो की वैक्सीन हो, स्मॉक पॉक्स की वैक्सीन हो. हैपिटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था. 2014 में देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 फीसदी के आसपास था.
हमारी दृष्टि में यह बहुत चिंता की बात थी. जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था, उस रफ्तार से देश को शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते.