न्यूयॉर्क|… शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित में कहा कि आज हम मुश्किल के दौर से भले ही गुजर रहे हों. लेकिन उन मुश्किलों से निपटने के लिए हम सबको एक मंच पर आना ही होगा. दुनिया के सामने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौती पहले से ही है और अब उसमें कोरोना वायरस की चुनौती भी जुड़ चुकी है.
पिछले 1.5 वर्षों में, पूरी दुनिया 100 वर्षों में सबसे भीषण महामारी का सामना कर रही है, मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने इस घातक महामारी में अपनी जान गंवाई है और मैं उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.
आज, मैं दुनिया भर के सभी वैक्सीन निर्माताओं को भारत में वैक्सीन बनाने का निमंत्रण देता हूं.कोरोना महामारी ने दुनिया को सिखाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को और विविधतापूर्ण बनाया जाए. इसलिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का विस्तार बहुत महत्वपूर्ण है. हमारा ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ इसी भावना से प्रेरित है.
मैं यूएनजीए को सूचित करना चाहता हूं कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है. यह 12 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है. एक एमआरएनए टीका विकास के अंतिम चरण में है. भारतीय वैज्ञानिक भी कोविड 19 के खिलाफ एक नया टीका विकसित कर रहे हैं.
हमने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन हब बनाने पर भी काम शुरू कर दिया है. हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति जवाबदेह हैं. आज दुनिया प्रतिगामी सोच और उग्रवाद के बढ़ते खतरे का सामना कर रही है. यह सुनिश्चित करना नितांत आवश्यक है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवाद फैलाने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो.
हमारे महासागर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा भी हैं. हमें उन्हें विस्तार की दौड़ से बचाना चाहिए. नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक स्वर में बोलना चाहिए.प्रतिगामी सोच वाले देश जो आतंकवाद को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है. यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने या आतंकी हमले शुरू करने के लिए नहीं किया जाता है…”
इसी साल 15 अगस्त को भारत ने आजादी के 75वें साल में प्रवेश किया. हमारी विविधता ही हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है:विकास सर्व-समावेशी, सार्वभौमिक और सभी का पोषण करने वाला होना चाहिए.यह सिद्धांत (‘अंत्योदय’ – जहां कोई भी पीछे नहीं रहता) को ध्यान में रखते हुए है कि भारत आज एकीकृत न्यायसंगत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. हमारी प्राथमिकता यह है कि विकास सर्व-समावेशी, सर्वव्यापक, सार्वभौम और सभी का पोषण करने वाला हो.हाँ, लोकतंत्र उद्धार कर सकता है. हां, लोकतंत्र ने दिया है. ‘एकात्म मानव दर्शन’ अर्थात अभिन्न मानवतावाद या एक साथ ली गई विकास यात्रा, स्वयं से ब्रह्मांड तक विस्तार के प्रवर्तक पंडित दीन दयाल उपाध्याय की आज जयंती है:
स्वतंत्रता के 75 वर्ष के अवसर पर, भारत भारतीय छात्रों द्वारा बनाए गए 75 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने जा रहा है.ऐसे में पूरे विश्व को विज्ञान आधारित, तर्कसंगत और प्रगतिशील सोच को विकास का आधार बनाना चाहिए. विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए, भारत अनुभव-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है.