शुक्रवार को पीएम मोदी केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपयों के विकासकार्यों का भी उद्घाटन की. हालांकि, इन सभी कार्यक्रमों में सबसे खास आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण को कहा जा रहा है.
पीएम मोदी ने यहां शंकराचार्य के समाधि स्थल की भी लोकार्पण किया. यह स्थान साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में टूट गया था. दरअसल, शंकराचार्य की प्रतिमा से जुड़े कई अहम तथ्य हैं, जो इस आयोजन को और खास बना रहे हैं. अब विस्तार से समझते हैं.
कैसे चुनी गई प्रतिमा?
खबर है कि आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा तैयार करने के लिए कई मूर्तिकारों ने कोशिश की. आंकड़े बताते हैं कि प्रतिमा के करीब 18 मॉडल तैयार किए गए थे, लेकिन पीएम की सहमति के बाद एक मॉडल का चयन किया गया. मैसूर के कलाकार अरुण योगीराज के हाथों तैयार हुई इसी प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी करेंगे. खास बात यह है कि यह प्रतिमा केवल एक ही शिला से तैयार की गई है.
9 कलाकारों और 1 साल से ज्यादा की मेहनत
एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, इस मूर्ति को तैयार करने का काम साल 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था. करीब 9 कारीगरों ने लगातार मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया. सितंबर में मूर्ति को चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड लाया गया था.
कलाकारों की टीम ने इस प्रतिमा के लिए एक खास शिला चुनी. खास बात है कि 130 टन वजनी शिला को तराशने के बाद इका वजन 35 टन हो गया.
बताया जा रहा है कि कलाकारों ने आदि गुरु शंकराचार्य के ‘तेज’ को दिखाने के लिए प्रतिमा पर नारियल के पानी का भी इस्तेमाल किया है. इसकी मदद से मूर्ति की सतह पर चमक बनी रहेगी. प्रतिमा की ऊंचाई करीब 12 फीट होगी.
भाषा के अनुसार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जाएगा और देशभर के शिवालय, ज्योर्तिलिंग, शंकराचार्य के मठ इस दौरान केदारनाथ से सीधे जुड़े रहेंगे. बाबा केदार के दर्शन करने के साथ ही मोदी केदारनाथ में 400 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास भी करेंगे.