मंगलवार को पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच लंबी बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने तकरीबन 45 मिनट तक अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की.
पीएम मोदी और पुतिन के बीच ये बातचीत ऐसे समय में हुई जब जी-7 के नेता काबुल में तालिबान के शासन पर आज वर्चुअली मीटिंग करने जा रहे हैं. इससे पहले पीएम मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ फोन पर बातचीत की थी, और अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात पर चर्चा की थी.
बता दें कि पीएम मोदी ने सोमवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभाव पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने माना कि सबसे जरूरी प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे हुए लोगों की स्वदेश वापसी है. उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें कोविड-19 टीकों में सहयोग, जलवायु और ऊर्जा पर ध्यान देने के साथ विकास सहयोग, व्यापार एवं आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना शामिल है.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘आज शाम चांसलर मर्केल से बातचीत की और द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर चर्चा की. भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दोहराया.’’ पीएमओ के बयान में कहा गया है, ‘‘नेताओं ने अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभाव पर चर्चा की. उन्होंने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें सबसे जरूरी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों की वापसी है.’’
दूसरी ओर अफगानिस्तान पर जी-7 देशों (G-7 Leaders meeting) के नेताओं की मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. इस बैठक में काबुल में तालिबान के शासन को आधिकारिक तौर पर मान्यता देना है या प्रतिबंध लगाना है, इस बात पर फैसला हो सकता है.
मीटिंग का आयोजन वर्चुअली होगा. अगस्त की 15 तारीख को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के सहयोगी देश वॉशिंगटन की ओर देख रहे हैं, वहीं विदेशी राजनयिकों को कहना है कि अफगानिस्तान के मसले पर जी-7 देशों की बैठक (G-7 Meeting) में आपसी सहयोग पर भी चर्चा हो सकती है.
बता दें कि काबुल पर तालिबान के हफ्ते भर में कब्जा करने और अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलने के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग निकले, ऐसे में विदेशी सरकारें अफगानिस्तान के हालात को लेकर संशय की शिकार हैं और अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन शुरू हो गया है.